दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को निर्देश दिया है कि वह एक हलफनामा दायर करे। अदालत ने प्रदूषण की स्थिति को गंभीर होने से रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी है। सुनवाई के दौरान वायु निगरानी स्टेशनों की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठाए गए। कोर्ट ने ग्रीन क्रैकर्स के उपयोग की अनुमति दी थी, लेकिन भविष्य में इसकी समीक्षा की जाएगी। CAQM और CPCB को प्रदूषण रोकथाम के उपायों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
| Nov 3, 2025, 22:17 IST
सुप्रीम कोर्ट का आयोग को निर्देश
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की बढ़ती समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने आयोग फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को आदेश दिया है कि वह एक हलफनामा प्रस्तुत करे, जिसमें यह बताया जाए कि प्रदूषण की स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत को सूचित किया गया कि हाल ही में कई मीडिया रिपोर्टों में वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए गए हैं।
पर्यावरण मामलों की सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच, एमसी मेहता केस से संबंधित पर्यावरण मामलों की सुनवाई कर रही थी। उल्लेखनीय है कि 14 अक्टूबर को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध में अस्थायी छूट दी गई थी, जिसके तहत दिवाली पर ग्रीन क्रैकर्स के उपयोग की अनुमति दी गई थी, जो कुछ शर्तों के साथ लागू होगी।
प्रदूषण की रोकथाम के उपाय
कोर्ट ने अपने आदेश में कई दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें वायु गुणवत्ता सूचकांक की निगरानी और प्रदूषण स्तर पर रिपोर्ट तैयार करने की बात कही गई थी। इस दौरान अदालत को बताया गया कि प्रदूषण की स्थिति को गंभीर होने से पहले ही रोकने के उपाय करने की आवश्यकता है। CAQM से रिपोर्ट दाखिल करने की मांग पर, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह प्रदूषण को और बढ़ने से रोकने के लिए अपने आगामी कदमों पर एक विस्तृत हलफनामा पेश करे।
वायु निगरानी स्टेशनों की स्थिति
सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह (अमिकस क्यूरी) ने कहा कि वायु निगरानी स्टेशनों के काम न करने की खबरें चिंताजनक हैं। यदि ये स्टेशन कार्यरत नहीं हैं, तो ग्रैप नियमों को लागू करना मुश्किल हो जाएगा।
CAQM और CPCB की जिम्मेदारी
इस मुद्दे पर CAQM ने बताया कि उन्होंने पहले ही एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसे समय की कमी के कारण नहीं सुना जा सका। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) पर यह जिम्मेदारी डालते हुए कहा गया कि डेटा उनके पास है, इसलिए रिपोर्ट वही पेश करें। इस पर अमिकस ने आपत्ति जताते हुए कहा कि आयोग अपनी जिम्मेदारी से भागता नजर आ रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
गौरतलब है कि 14 अक्टूबर के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन क्रैकर्स की बिक्री, निगरानी, समय-सीमा, लाइसेंसिंग, और बाहरी क्षेत्रों से एनसीआर में पटाखों की एंट्री रोकने के लिए विस्तृत निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों के तहत बिक्री की निगरानी के लिए जिलेवार पेट्रोलिंग टीमें बनाई जाएंगी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए पटाखों की खरीद-बिक्री पर भी रोक रहेगी।
भविष्य की सुनवाई
अब कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राहत केवल "टेस्ट केस" के रूप में दी गई है और भविष्य में इसकी समीक्षा की जाएगी। इस मामले पर अगली सुनवाई से पहले CAQM और CPCB को अपने-अपने स्तर पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसमें प्रदूषण की रोकथाम, निगरानी स्टेशनों की कार्यप्रणाली और दिवाली के दौरान लागू नियमों के पालन की स्थिति स्पष्ट की जाएगी।
