दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: बैन की स्थिति पर चर्चा

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में ग्रीन पटाखों पर चर्चा

नई दिल्ली। ग्रीन पटाखों में हानिकारक रसायनों जैसे बेरियम, नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट और सल्फर का उपयोग बहुत कम या बिल्कुल नहीं होता है। दिवाली के नजदीक, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन हटाने की याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन लगाना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है।
चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा कि ऐसे प्रतिबंधों का अक्सर उल्लंघन होता है। इसके साथ ही, बेंच ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के निर्माण और बिक्री की अनुमति देने वाली याचिकाओं पर अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई के दौरान, केंद्र और दिल्ली-एनसीआर के राज्यों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बच्चों को त्योहार मनाने का अवसर दिया जाना चाहिए। उन्हें बिना किसी समय सीमा और रोक-टोक के पटाखे फोड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इससे पहले, 26 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सर्टिफाइड ग्रीन पटाखों के निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन यह शर्त रखी थी कि बिना कोर्ट की इजाजत के NCR में बिक्री नहीं की जा सकती। दिल्ली-एनसीआर में दिल्ली और उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के 16 जिले शामिल हैं।
दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर बैन 2017 से लागू है, जब सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार ग्रीन पटाखों को जलाने का आदेश दिया था। इसके बाद 2018 में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। 2024 तक यह बैन जारी रहा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदूषण स्तर में कोई खास कमी नहीं आई।
कोर्ट ने पूछा कि क्या बैन से प्रदूषण में कमी आई है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि प्रदूषण का स्तर लगभग वही रहा। हालांकि, कोविड लॉकडाउन के दौरान उद्योगों और वाहनों की गतिविधियों में कमी आई थी, जिससे प्रदूषण कम हुआ था।
दिल्ली-एनसीआर राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट को 8 सुझाव दिए हैं, जिनमें दिवाली पर ग्रीन पटाखों को रात 8 बजे से 10 बजे तक फोड़ने की अनुमति देने का सुझाव शामिल है। इसके अलावा, केवल NEERI द्वारा प्रमाणित ग्रीन पटाखों का निर्माण और बिक्री की बात भी कही गई है।