दिल्ली उच्च न्यायालय में मुस्लिम समूहों की याचिका: 'आई लव मुहम्मद' पोस्टरों पर विवाद

मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया और रजा अकादमी ने 'आई लव मुहम्मद' पोस्टरों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ये प्राथमिकी सांप्रदायिक हैं और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। कानपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में आरोप है कि मुस्लिम समुदाय के नागरिकों ने धार्मिक त्योहारों के दौरान अपनी भक्ति व्यक्त की। इस विवाद ने हिंदू समूहों की आपत्ति को भी जन्म दिया है, जिन्होंने इसे उकसावे वाला कृत्य बताया।
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दिल्ली उच्च न्यायालय में मुस्लिम समूहों की याचिका: 'आई लव मुहम्मद' पोस्टरों पर विवाद

दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर

मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एमएसओ) और रजा अकादमी ने 'आई लव मुहम्मद' लिखे पोस्टरों के संबंध में दर्ज कई प्राथमिकी और गिरफ्तारियों को चुनौती देने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का सहारा लिया है। उनका कहना है कि ये पोस्टर केवल भक्ति की अभिव्यक्ति हैं।


जनहित याचिका का दावा

याचिका में यह भी कहा गया है कि जो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, वे 'सांप्रदायिक प्रकृति' की हैं और याचिकाकर्ताओं के 'मौलिक अधिकारों' का उल्लंघन करती हैं। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि ये मामले उत्तर प्रदेश के कैसरगंज और बहराइच जैसे स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के सामान्य नागरिकों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं, जिन्होंने धार्मिक त्योहारों के दौरान अपनी भक्ति व्यक्त करने का प्रयास किया।


प्राथमिकी का विवरण

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि बिना किसी ठोस या स्वतंत्र साक्ष्य के, बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों ने उन पर दंगा भड़काने, आपराधिक धमकी और शांति भंग करने के आरोप लगाए हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ जब कानपुर पुलिस ने बारावफात जुलूस के दौरान सार्वजनिक स्थान पर 'आई लव मुहम्मद' लिखे बोर्ड लगाने के आरोप में नौ नामजद और 15 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। हिंदू समूहों ने इसे परंपरा से विचलन और जानबूझकर उकसावे वाला कृत्य बताया।