दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला हत्या मामले में आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2004 में एक महिला की हत्या के मामले में आरोपी नरेंद्र कुमार बब्बर को जमानत देने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि आरोपी 16 वर्षों से फरार था और उसके खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि यदि जमानत दी गई, तो आरोपी की सुनवाई में अनुपस्थिति की संभावना बढ़ जाएगी। इस मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह ने आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत पेश किए हैं। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के आदेश के पीछे की वजहें।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने महिला हत्या मामले में आरोपी को जमानत देने से किया इनकार

दिल्ली उच्च न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2004 में एक महिला की गला घोंटकर हत्या के मामले में आरोपी को जमानत देने से मना कर दिया है। अदालत ने कहा कि आरोपी 16 वर्षों से फरार था, जो इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है।


न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने तीन सितंबर को नरेंद्र कुमार बब्बर की जमानत याचिका को खारिज करते हुए बताया कि उसे 2007 में 'भगोड़ा अपराधी' घोषित किया गया था।


न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यदि आरोपी को जमानत दी जाती है, तो उसकी सुनवाई में अनुपस्थिति की संभावना बढ़ जाएगी।


आदेश में उल्लेख किया गया है, 'आवेदक-आरोपी के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं... अभियोजन पक्ष के प्रत्यक्षदर्शी गवाह की गवाही से स्पष्ट होता है कि आरोपी ने महिला का गला घोंटने से पहले उसे बिस्तर पर पटक दिया। गवाह ने यह भी कहा कि आरोपी ने महिला के साथ मारपीट की।'


आरोपी 2007 में अपराधी घोषित होने के बाद से 2023 तक लापता रहा। न्यायाधीश ने कहा, 'वह 16 साल से अधिक समय से फरार था, इसलिए निचली अदालत और राज्य के अतिरिक्त लोक अभियोजक ने उसके मुकदमे से बचने की संभावना पर उचित सवाल उठाए हैं।'


अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी पीड़िता के घर गया था, जहां उसके घरेलू नौकर राकेश ने दरवाजा खोला। राकेश को बाद में पड़ोस के एक फ्लैट के बारे में पूछताछ करने के लिए भेजा गया।


जब आरोपी महिला के साथ अकेला था, तो उसने उसके साथ दुर्व्यवहार करना शुरू कर दिया और जब महिला ने विरोध किया, तो उसने उसे धमकाया, बिस्तर पर पटक दिया और उसका गला घोंट दिया।