दिलजीत दोसांझ की फिल्म 'पंजाब 95' को सेंसर बोर्ड से नहीं मिली मंजूरी, डायरेक्टर का दर्द बयां
दिलजीत दोसांझ की फिल्म 'पंजाब 95' पर सेंसर बोर्ड की रोक
हनी त्रेहन
हनी त्रेहन की फिल्म: दिलजीत दोसांझ की नई फिल्म 'पंजाब 95' समाजसेवी जसवंत सिंह खालड़ा के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म से दर्शकों को काफी उम्मीदें हैं, लेकिन सेंसर बोर्ड ने इसे लेकर कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं। फिल्म के निर्देशक ने हाल ही में कहा कि CBFC ने फिल्म की सच्चाई को छिपाने के लिए कई कट्स लगाने का सुझाव दिया है। फिल्म को अभी तक CBFC से मंजूरी नहीं मिली है, जिससे निर्देशक का दर्द सामने आया है।
दिलजीत दोसांझ की फिल्म 'पंजाब 95' के निर्देशक हनी त्रेहन ने अपनी स्थिति साझा की है। उनका कहना है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड को सौंपे हुए तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह फिल्म एक छोटे से दीए की तरह है, जो अपने चारों ओर रोशनी फैलाने की कोशिश कर रहा है।
हनी त्रेहन की इंस्टाग्राम स्टोरी
हनी त्रेहन ने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी साझा की, जिसमें उन्होंने लिखा कि उन्हें अभी भी उम्मीद है कि CBFC के किसी कोने में एक दिन वह दीया जरूर जलेगा। उन्होंने जसवंत सिंह खालड़ा के शब्दों को साझा करते हुए लिखा, 'मैं अंधेरे को चुनौती देता हूं।' इस पोस्ट को दिलजीत ने भी आगे शेयर किया है।

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तीन साल पहले भेजी गई मंजूरी के लिए
हनी त्रेहन ने अपनी स्टोरी में लिखा, “वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह! आज 22 दिसंबर है। आज ही के दिन तीन साल पहले हमारी फिल्म 'पंजाब 95' को CBFC के पास सर्टिफिकेशन के लिए जमा किया गया था। आज 22 दिसंबर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व भी है। अगर हालात इतने कड़वे न होते, तो शायद यह अच्छा लगता। लेकिन सच्चाई यह है कि सत्ता में बैठे लोग सच से और अपने इतिहास से डरते हैं। जैसा कि हम जानते हैं, जो इतिहास भुला दिया जाता है, वह दोहराया जाता है। वॉशिंगटन पोस्ट की टैगलाइन है – Democracy dies in darkness (अंधेरे में लोकतंत्र मर जाता है)। मैं इसमें एक छोटा सा बदलाव करना चाहूंगा, जो हमारे हालात के ज्यादा करीब है।”
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CBFC के कोने में दीया जलने की उम्मीद
हनी त्रेहन ने आगे लिखा, “जैसे अंधेरे को हराने के लिए बस एक दीया काफी होता है, वैसे ही अज्ञानता को हराने के लिए भी किसी कोने में जलता हुआ एक छोटा सा दीया, जो अपने आसपास रोशनी फैलाने की कोशिश करता है। यही उम्मीद है कि CBFC के किसी कोने में एक दिन वह दीया जरूर जलेगा। शायद मैं कुछ ज्यादा ही उम्मीद कर रहा हूं, मैं अंधेरे को चुनौती देता हूं। - जसवंत सिंह खालड़ा।
