दिल के ट्रांसप्लांट में 19 वर्षीय युवक को मिला नया जीवन

दिल के ट्रांसप्लांट की एक अद्भुत कहानी में, 19 वर्षीय युवक को 25 वर्षीय डोनर का दिल मिला। यह सर्जरी 13 घंटे तक चली और इसमें कई विशेषज्ञों की टीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जानें कैसे ग्रीन कॉरिडोर की मदद से दिल को समय पर पहुंचाया गया और इस प्रक्रिया ने मरीज के परिवार को नई उम्मीद दी।
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दिल के ट्रांसप्लांट में 19 वर्षीय युवक को मिला नया जीवन

दिल के ट्रांसप्लांट का अद्भुत कार्य


दिल के ट्रांसप्लांट एक ऐसा चिकित्सा चमत्कार है, जिसमें एक व्यक्ति का दिल दूसरे में धड़कने लगता है। इस प्रक्रिया में कई लोगों का योगदान आवश्यक होता है, जिसमें डॉक्टर, ब्लड बैंक की टीम, अस्पताल प्रशासन और ट्रैफिक विभाग शामिल हैं। 8 जनवरी को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में डॉक्टरों ने एक 19 वर्षीय युवक के बीमार दिल को हटाकर 25 वर्षीय व्यक्ति का स्वस्थ दिल ट्रांसप्लांट किया। यह सर्जरी दोपहर 2 बजे शुरू होकर रात 3 बजे तक चली।


आरएमएल अस्पताल की दूसरी सफल हृदय ट्रांसप्लांट सर्जरी

आरएमएल अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत अग्रवाल ने बताया कि यह अस्पताल की दूसरी सफल हृदय ट्रांसप्लांट सर्जरी थी। 19 वर्षीय मरीज लंबे समय से 'राइट वेंट्रिकल की कार्डियोमायोपैथी' से ग्रसित था, जिसने उसकी जीवनशैली को बुरी तरह प्रभावित किया। वह न तो स्कूल जा सका और न ही अपने दोस्तों के साथ खेल सका।


डोनर और ग्रीन कॉरिडोर की भूमिका

7 जनवरी को सर गंगाराम अस्पताल से सूचना मिली कि एक स्वस्थ दिल उपलब्ध है। डोनर एक 25 वर्षीय युवक था, जिसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। उसके अंग दान करने की प्रक्रिया शुरू की गई। मरीज के परिवार को तुरंत सूचित किया गया और उन्हें अस्पताल बुलाया गया।


दिल को आरएमएल अस्पताल तक पहुंचाने के लिए ट्रैफिक विभाग ने ग्रीन कॉरिडोर बनाया, जो कि बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि दिल को सीमित समय में मरीज तक पहुंचाना आवश्यक था।


13 घंटे की लंबी सर्जरी

ऑपरेशन दोपहर 2 बजे शुरू हुआ। डॉ. आर.के. नाथ और डॉ. पुनीत अग्रवाल ने ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व किया। डॉ. विजय ग्रोवर, डॉ. नरेंद्र झाझरिया और डॉ. पलाश सेन ने दिल को आरएमएल तक लाने का कार्य संभाला। एनेस्थीसिया टीम और ब्लड बैंक की टीम भी पूरी प्रक्रिया में सक्रिय रही। यह ऑपरेशन रात 3 बजे तक चला।


सफल ऑपरेशन: नई जिंदगी की शुरुआत

सर्जरी के बाद मरीज के शरीर में नया दिल धड़कने लगा। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि दिल सभी मानकों पर सही काम कर रहा है, जिससे मरीज के परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई।


डॉ. पुनीत अग्रवाल ने कहा, 'हमारा उद्देश्य केवल एक था—इस बच्चे को नया जीवन देना। यह सफल ऑपरेशन हमारी पूरी टीम की मेहनत और समर्पण का परिणाम है।'


यह सर्जरी न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है, बल्कि यह अंग दान और सरकारी अस्पतालों की क्षमता के प्रति जागरूकता का संदेश भी देती है।