दिग्विजय सिंह का विवादास्पद पोस्ट: कांग्रेस में उठे सवाल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के हालिया सोशल मीडिया पोस्ट ने पार्टी में हलचल मचा दी है। उन्होंने संगठन की मजबूती और विकेंद्रीकरण की आवश्यकता पर जोर दिया, जिससे पार्टी के भीतर सवाल उठने लगे हैं। बैठक में उनके बयानों पर नेताओं की चुप्पी और प्रतिक्रिया भी चर्चा का विषय बनी। जानें इस राजनीतिक विवाद के पीछे की कहानी और दिग्विजय के स्पष्टीकरण के बारे में।
 | 
दिग्विजय सिंह का विवादास्पद पोस्ट: कांग्रेस में उठे सवाल

दिग्विजय सिंह का पोस्ट और कांग्रेस की बैठक

दिग्विजय सिंह का विवादास्पद पोस्ट: कांग्रेस में उठे सवाल

पीएम मोदी की तस्वीर पर दिग्विजय सिंह का पोस्ट।

कांग्रेस ने अपने स्थापना दिवस से पहले मनरेगा, वोट चोरी, बांग्लादेश और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जैसे मुद्दों पर कार्यसमिति की बैठक बुलाई थी। लेकिन इससे पहले, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के सोशल मीडिया पर किए गए दो पोस्ट ने हलचल मचा दी। दिग्विजय ने पहले भी पार्टी संगठन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

वोट चोरी के खिलाफ अभियान की घोषणा के बाद, दिग्विजय ने सवाल उठाया कि क्या हमारे पास वार्ड स्तर पर संगठन है? इसके बाद, उन्होंने राहुल गांधी को संगठन की मजबूती के लिए विकेंद्रीकरण की आवश्यकता के बारे में लिखा। संभवतः उन्हें लगा कि उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, इसलिए उन्होंने सीडब्ल्यूसी की बैठक से पहले आरएसएस और बीजेपी की संगठनात्मक ताकत की प्रशंसा करते हुए एक और पोस्ट किया और अपने पहले पोस्ट को पिन कर दिया।

बैठक में दिग्विजय का बयान

बैठक में दिग्विजय ने इस मुद्दे को उठाया। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने कहा कि जब संगठन को मजबूत करने के लिए जिलाध्यक्षों की नियुक्तियां हो रही हैं, तो उनका सवाल उठाना यह दर्शाता है कि वे इस प्रक्रिया से संतुष्ट नहीं हैं।

दिग्विजय ने आरएसएस को एक खतरनाक संगठन बताया और कहा कि इसके खिलाफ मुकाबला करने के लिए वार्ड स्तर पर मजबूत संगठन होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि संगठन का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। यदि वार्ड स्तर पर संगठन नहीं होगा, तो हमारे कार्यक्रम सफल नहीं होंगे। इस समय संगठन का सारा कार्य महासचिव केसी वेणुगोपाल के कंधों पर है।

इसलिए, इस राजनीतिक संघर्ष को कांग्रेस के गलियारों में दिग्विजय बनाम केसी के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ ही, प्रियंका गांधी को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने की मांग भी उठ रही है। हालांकि, जब दिग्विजय ने अपनी बात रखी, तो सभी ने चुपचाप सुना, और कांग्रेस ने तय किया कि इस मुद्दे को तूल नहीं दिया जाएगा।

खरगे और राहुल की चुप्पी

इसलिए, मीडिया विभाग से लेकर खरगे और राहुल तक सभी ने चुप्पी साधे रखी। मनरेगा बचाव पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में खरगे ने 5 जनवरी से देशव्यापी आंदोलन की बात कही, जबकि राहुल ने इसके बदलाव की जानकारी मंत्री तक नहीं होने की बात कहकर पीएम पर निशाना साधा। लेकिन दिग्विजय से संबंधित सवाल नहीं आए, इसलिए बिना सवाल लिए दोनों नेता चले गए।

सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में खरगे ने दिग्विजय और शशि थरूर को उनके बयानों के लिए नसीहत भी दी। खरगे ने दिग्विजय से कहा कि भारत में जो हो रहा है, उसकी तुलना बांग्लादेश से नहीं की जा सकती, इससे पार्टी को नुकसान होता है। वहीं, शशि थरूर के विदेश नीति पर सवाल नहीं उठाने वाले बयान को लेकर खरगे ने कहा कि यह ठीक नहीं है।

दिग्विजय का स्पष्टीकरण

बैठक के बाद, शशि थरूर मीडिया से बचते हुए निकल गए, लेकिन दिग्विजय ने अपने पोस्ट पर स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने कहा, मैंने आरएसएस और बीजेपी की तारीफ नहीं की है। मैंने उनके संगठन की बात की है। मैं हमेशा से विकेंद्रीकरण का पक्षधर रहा हूं और आज बैठक में भी यही कहा है। यह पोस्ट केसी वेणुगोपाल के खिलाफ नहीं है।

अब रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 141वें स्थापना दिवस पर एकत्र होंगे, जहां 5 जनवरी से शुरू होने वाले मनरेगा बचाओ अभियान का आधिकारिक ऐलान होगा, जिसे प्रियंका गांधी ने अंतिम रूप दिया है। लेकिन फिलहाल, दिग्विजय का चर्चा में बने रहना तय है।