दार्जिलिंग में दुर्गा पूजा समारोह पर राजनीतिक संकट का प्रभाव

नेपाल में राजनीतिक संकट का असर
नेपाल में चल रही राजनीतिक अस्थिरता के कारण, इस वर्ष दार्जिलिंग में दुर्गा पूजा समारोहों पर आर्थिक प्रभाव पड़ने की संभावना है। दुर्गा पूजा समिति के अधिकारियों ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि इस साल पंडाल का बजट कम होने की उम्मीद है, क्योंकि त्योहारों के दौरान बिक्री में कमी आई है। पानीटंकी ब्याबसाई समिति के सचिव दीपक चक्रवर्ती ने कहा कि इस बार कोई पंडाल नहीं बनाया जाएगा और केवल मंदिर में पूजा की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि इस त्योहारी मौसम में केवल 10 प्रतिशत दुकानें खुली हैं।
बजट में कमी और दुकानें बंद
चक्रवर्ती ने कहा कि यह पूजा उनकी समिति द्वारा आयोजित की जाती है, और इसका बजट दुकानदारों से एकत्रित 95 प्रतिशत धन पर निर्भर करता है। वर्तमान स्थिति में, 10 प्रतिशत दुकानें बंद हैं। कुल 948 दुकानों में से 900 बंद हैं, और कुछ ही खुली हैं, लेकिन ग्राहक नहीं हैं। उन्होंने बताया कि बिक्री और दान में कमी के कारण बजट में कटौती की गई है। इस वर्ष का बजट पहले बड़ा था, क्योंकि समिति 50वीं पूजा की तैयारी कर रही थी, लेकिन पड़ोसी देश में मौजूदा स्थिति के कारण, पूजा को 3-4 दिन पहले रद्द कर दिया गया।
पर्यटकों की कमी का असर
चक्रवर्ती ने कहा कि नेपाल से सबसे अधिक पर्यटक आते हैं। यदि वे नहीं आते हैं, तो यह बहुत बुरा होगा। कोविड के कारण पहले ही पूजा की संख्या में कमी आई थी। इस बार 50 साल का जश्न मनाने के लिए बजट बड़ा था, लेकिन अब यह रद्द हो गया है। उन्होंने बताया कि बजट तय करने के लिए एक बैठक होगी और कहा कि सरकार द्वारा 1 लाख 10 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, लेकिन एक पूजा के आयोजन के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है।
चुनौतियों का सामना
चक्रवर्ती ने कहा कि सभी दुकानें बंद हैं और सरकार से मिलने वाली राशि पर्याप्त नहीं है। सिबाजी संघ दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष विद्युत दास ने भी इसी तरह की चिंता व्यक्त की है, यह कहते हुए कि इस वर्ष दान की कमी के कारण यह साल चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने बताया कि पंडालों के बजट में 20 प्रतिशत की कटौती की गई है।