दाचीगाम में मारे गए आतंकवादियों की पहचान: पाकिस्तानी नागरिक और लश्कर के सदस्य
जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम में 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव के दौरान मारे गए तीन आतंकवादियों की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में हुई है। ये सभी लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य थे। सुरक्षा बलों द्वारा एकत्रित साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि ये आतंकवादी पहलगाम हमले में शामिल थे। रिपोर्ट में उनके पाकिस्तानी नागरिकता के सबूत और हमले से संबंधित अन्य जानकारी भी शामिल है। जानें इस ऑपरेशन के पीछे की कहानी और सुरक्षा बलों द्वारा जुटाए गए साक्ष्य।
Aug 4, 2025, 11:27 IST
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दाचीगाम में ऑपरेशन महादेव के दौरान मारे गए आतंकवादियों की पहचान
28 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के दाचीगाम में ऑपरेशन महादेव के तहत मारे गए तीन आतंकवादियों की पहचान पाकिस्तानी नागरिकों के रूप में हुई है। ये सभी लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के वरिष्ठ सदस्य थे, जैसा कि सुरक्षा बलों द्वारा एकत्रित साक्ष्यों से स्पष्ट होता है। एनडीटीवी द्वारा प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, ये आतंकवादी पहलगाम हमले के दिन से दाचीगाम-हरवान के जंगलों में छिपे हुए थे, और गोलीबारी करने वाली टीम में कोई स्थानीय कश्मीरी शामिल नहीं था।
पाकिस्तानी नागरिकता के सबूत
इन आतंकवादियों के पास से बरामद पाकिस्तानी मतदाता पहचान पत्र, कराची में निर्मित चॉकलेट और बायोमेट्रिक रिकॉर्ड वाली माइक्रो-एसडी चिप ने यह साबित कर दिया कि ये सभी पाकिस्तान से थे।
इसके अतिरिक्त, पहलगाम हमले के स्थल से मिले कारतूसों के खोलों का बैलिस्टिक विश्लेषण भी यह दर्शाता है कि ये तीनों आतंकवादी 22 अप्रैल को हुए नरसंहार में शामिल थे, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी।
मुठभेड़ के बाद के साक्ष्य
हाल ही में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी किए गए मुठभेड़ के बाद के साक्ष्यों से यह निष्कर्ष निकाला गया है। पहलगाम हमले के लगभग तीन महीने बाद, सुरक्षा बलों ने 28 जुलाई को श्रीनगर के दाचीगाम क्षेत्र में इन आतंकवादियों का सफाया कर दिया। रिपोर्ट में सुलेमान शाह को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड बताया गया है। अबू हमजा और यासिर उर्फ जिबरान अन्य दो शूटर थे।
मतदाता पहचान पत्र और तकनीकी सबूत
सुलेमान शाह और अबू हमज़ा के शवों से पाकिस्तान चुनाव आयोग द्वारा जारी दो लेमिनेटेड मतदाता पहचान पत्र बरामद हुए। इसके अलावा, एक क्षतिग्रस्त सैटेलाइट फोन से मिले माइक्रो-एसडी कार्ड में तीनों व्यक्तियों के एनएडीआरए बायोमेट्रिक रिकॉर्ड थे, जो उनकी पाकिस्तानी नागरिकता की पुष्टि करते हैं।
इनमें उंगलियों के निशान, चेहरे के नमूने और वंशावली के रिकॉर्ड शामिल थे। उनके पंजीकृत पते चांगा मंगा (कसूर जिला) और रावलकोट, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के पास कोइयाँ गाँव में हैं।
आतंकवादियों के प्रवेश मार्ग और समयरेखा
साक्ष्य बताते हैं कि ये तीनों आतंकवादी मई 2022 में गुरेज सेक्टर के पास नियंत्रण रेखा पार कर आए थे। खुफिया ब्यूरो के इंटरसेप्ट्स ने उनकी पहली रेडियो जाँच दर्ज की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 अप्रैल, 2025 को आतंकवादी बैसरन घाटी में एक मौसमी झोपड़ी में चले गए।
आतंकवादी 22 अप्रैल की सुबह बैसरन घास के मैदान तक पहुंचे, जहां उन्होंने गोलीबारी की, जिसमें 26 नागरिक मारे गए। सुलेमान शाह के गार्मिन उपकरण से मिले जीपीएस वेपॉइंट ने गोलीबारी की सटीक स्थिति की पुष्टि की।
पहलगाम हमले से संबंध
फोरेंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण ने पुष्टि की है कि ये तीनों वही आतंकवादी थे जिन्होंने 22 अप्रैल को निर्दोष पर्यटकों की हत्या की थी। बैसरन हमले स्थल पर मिले कारतूसों के खोलों का विश्लेषण आतंकवादियों से जब्त की गई राइफलों के धारियों के निशानों से मेल खाता है।
इसके अलावा, पहलगाम में एक फटी हुई कमीज पर मिले खून से निकाले गए माइटोकॉन्ड्रियल प्रोफाइल दाचीगाम में बरामद तीनों शवों के डीएनए से मेल खाते थे।