दशहरा 2025: पूजा मुहूर्त और महत्व

दशहरा 2025 पूजा मुहूर्त
दशहरा 2025 का पर्व 2 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस दिन देवी अपराजिता की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं। शस्त्र पूजा का सही समय दोपहर 2:09 से 2:56 बजे तक है। इस दिन सुकर्मा और रवि योग जैसे शुभ संयोग इसे और भी विशेष बनाते हैं। देवी की कृपा और सही पूजा विधि से व्यक्ति को सफलता, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
दशहरा का महत्व
हर साल की तरह, इस बार भी दशहरा पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। इसे विजयदशमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन अच्छाई ने बुराई पर विजय प्राप्त की थी। भगवान राम ने रावण का वध किया और मां दुर्गा ने महिषासुर का नाश किया। यह दिन जीत का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि हर बुराई का अंत निश्चित है। देवी अपराजिता की पूजा की परंपरा है, और कहा जाता है कि श्रीराम ने रावण से युद्ध से पहले देवी की पूजा की थी।
देवी अपराजिता की पूजा का महत्व
देवी अपराजिता को अजेय माना जाता है। जिन लोगों के जीवन में बार-बार कठिनाइयाँ आती हैं, उन्हें इस दिन देवी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। मान्यता है कि उनकी पूजा से जीवन में रुकावटें दूर होती हैं और हर क्षेत्र में सफलता मिलती है। इस दिन विशेष मंत्र “ॐ अपराजितायै नम:” का जाप करना चाहिए, जो मन और आत्मविश्वास को मजबूत बनाता है।
शस्त्र पूजा का सही समय और विधि
दशहरा के दिन शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है। इसे दोपहर 2:09 से 2:56 बजे के बीच करना चाहिए, जिसे विजय मुहूर्त कहा जाता है। इस बार शस्त्र पूजा सुकर्मा योग और रवि योग में हो रही है। सुकर्मा योग रात 11:29 बजे तक रहेगा और रवि योग पूरे दिन बना रहेगा। इसके अलावा, श्रवण नक्षत्र सुबह 9:13 बजे से शुरू होगा।
शस्त्र पूजा करने के लिए पहले अपने औजारों को साफ करें, उन पर गंगाजल छिड़कें, हल्दी और कुमकुम से तिलक करें, और फूल, अक्षत तथा शमी के पत्ते अर्पित करें। इस दौरान “शस्त्र देवता पूजनम्, रक्षा कर्ता पूजनम्” मंत्र का उच्चारण करें।
दशहरा पूजा मंत्र
दशहरा पर देवी अपराजिता का मंत्र है- ओम अपराजितायै नम:। आप अपराजिता स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
दशहरा हमें यह सिखाता है कि अधर्म चाहे कितना भी बड़ा हो, धर्म की शक्ति उसे हराने में सक्षम होती है। यह पर्व शक्ति, विजय और साहस का प्रतीक है।