दलाई लामा का 90वां जन्मदिन: समारोह में चीन का विवादित बयान
धर्मशाला में 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का 90वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। इस समारोह में तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दलाई लामा ने लोगों के प्यार के लिए आभार व्यक्त किया। वहीं, चीन के राजदूत ने दलाई लामा के पुनर्जन्म पर विवादित बयान दिया, जिससे एक बार फिर चीन और दलाई लामा के समर्थकों के बीच मतभेद उभरकर सामने आए। जानें इस विवाद और समारोह की पूरी कहानी।
Jul 6, 2025, 17:12 IST
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दलाई लामा का जन्मदिन समारोह
धर्मशाला में 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का 90वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। इस विशेष अवसर पर तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रतिनिधियों, स्कूली बच्चों, विभिन्न देशों के नर्तकों और गायकों, और विश्वभर से आए बौद्ध अनुयायियों ने भाग लिया। कई प्रमुख नेताओं ने भी इस समारोह में शिरकत की और दलाई लामा के वैश्विक शांति और धार्मिक सद्भाव के प्रति समर्पण की सराहना की।
दलाई लामा का आभार व्यक्त करना
जन्मदिन के इस समारोह में एक विशाल केक के सामने बैठे दलाई लामा ने कहा कि यह लोगों का प्यार है जो उन्हें सभी प्राणियों की सेवा के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा, 'मैं सभी जीवों को अपना मित्र मानता हूं और हमेशा उनकी सेवा करने का प्रयास करता हूं। आप सभी का धन्यवाद कि आप इस खुशी के मौके पर यहां आए हैं।'
चीन का विवादित बयान
इस उत्सव के बीच, भारत में चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने फिर से कहा कि दलाई लामा को पुनर्जन्म की परंपरा को जारी रखने या समाप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। यह विवाद लंबे समय से चल रहा है, जिसमें दलाई लामा के समर्थक और चीन के बीच मतभेद हैं।
फेइहोंग ने कहा कि 'जीवित बुद्ध' के पुनर्जन्म की परंपरा 700 वर्षों से चल रही है और 14वें दलाई लामा इसी परंपरा का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दलाई लामा का पुनर्जन्म न तो उनके द्वारा शुरू हुआ और न ही समाप्त होगा।
उत्तराधिकार का विवाद
धर्मशाला 1959 से दलाई लामा का निवास स्थान रहा है, जब वे तिब्बत से भागकर आए थे। उन्होंने चीनी शासन के तहत तिब्बत के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग की है। दलाई लामा ने कहा है कि उनके उत्तराधिकारी को पारंपरिक बौद्ध विधियों के अनुसार खोजा जाना चाहिए।
हालांकि, चीन दलाई लामा को एक अलगाववादी मानता है और केवल बीजिंग को उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का अधिकार है। चीन ने यह भी कहा है कि वह किसी भी ऐसे व्यक्ति को अस्वीकार करेगा जिसे बीजिंग की सहमति के बिना चुना गया हो।