द ताज स्टोरी: ताजमहल की कहानी पर विवाद और वास्तविकता

‘द ताज स्टोरी’ एक नई फिल्म है जिसमें ताजमहल की कहानी को एक अलग दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। फिल्म में परेश रावल मुख्य भूमिका में हैं और यह ऐतिहासिक तथ्यों के साथ-साथ काल्पनिक तत्वों को भी शामिल करती है। फिल्म के निर्देशक तुषार गोयल ने बताया कि यह कहानी अदालत में एक टूरिस्ट गाइड द्वारा दायर याचिका के इर्द-गिर्द घूमती है। क्या ताजमहल के अंदर कोई मंदिर था? इस सवाल का जवाब देते हुए फिल्म की टीम ने अपनी राय साझा की है। जानें इस फिल्म के बारे में और इसके पीछे की सच्चाई।
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द ताज स्टोरी: ताजमहल की कहानी पर विवाद और वास्तविकता

द ताज स्टोरी: एक नई फिल्म की चर्चा

द ताज स्टोरी: ताजमहल की कहानी पर विवाद और वास्तविकता

‘द ताज स्टोरी’

द ताज स्टोरी: प्रसिद्ध अभिनेता परेश रावल की नई फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ ने काफी ध्यान आकर्षित किया है। इस फिल्म को लेकर विवाद भी उठ खड़ा हुआ है, और इसके खिलाफ याचिका भी दायर की गई है। फिल्म अब सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो चुकी है। हाल ही में, ‘द ताज स्टोरी’ की टीम ने एक मीडिया चैनल से फिल्म की कहानी पर चर्चा की और यह बताया कि क्या यह केवल कल्पना है या इसमें कोई आस्था है।

फिल्म के निर्देशक तुषार गोयल ने कहा, “यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित है, लेकिन इसमें एक काल्पनिक कहानी भी है। एक मजबूत नैरेटिव की आवश्यकता होती है जो तथ्यों का समर्थन करे, और यह कहानी पूरी तरह से मौलिक है।”

किरदार और कहानी का विवरण

उन्होंने आगे बताया, “फिल्म में एक टूरिस्ट गाइड विष्णु दास का किरदार है, जो ताजमहल के संबंध में एक याचिका दायर करता है। यह कहानी अदालत में उसकी दलीलें पेश करने के साथ शुरू होती है, जिसका विरोध अनवर राशिद नामक एक अन्य किरदार करता है, जिसे जाकिर हुसैन ने निभाया है।” तुषार ने कहा, “फिल्म का ढांचा ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स पर आधारित है, जिसे कोर्टरूम ड्रामा में बुना गया है।”

जब टीम से पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि ताजमहल के अंदर कोई मंदिर था, तो परेश रावल ने उत्तर दिया, “हम निश्चित रूप से नहीं मानते कि ताजमहल के अंदर कोई मंदिर है। यह एक गलत धारणा है, क्योंकि यह राजा मानसिंह का महल था, जिसे बाद में मकबरे में बदल दिया गया। जब आप किसी महल पर कब्जा करते हैं, तो यह मान लिया जाता है कि यदि वह किसी हिंदू का निवास स्थान है, तो उसके अंदर मंदिर होगा। लेकिन ताजमहल के अंदर मंदिर होने का कोई प्रमाण नहीं है।”

महल का मकबरे में परिवर्तन

ज़ाकिर हुसैन ने कहा, “शाहजहां की जीवनी में उल्लेख है कि इस महल को ट्रांसफॉर्म किया गया और फिर मुमताज़ के लिए एक मकबरे में बदल दिया गया।” उन्होंने आगे कहा, “राजकीय इतिहास के अनुसार, ताजमहल प्रेम का प्रतीक है। लेकिन सवाल यह है कि वहां पहले क्या था? यह फिल्म उन कारीगरों की कहानी को भी छूती है, जिनके हाथ इतनी अद्भुत चीज़ बनाने के बाद काटे जाने की बात कही गई थी।”