तेलंगाना अस्पताल में मरीज के साथ हुई अमानवीय घटना
महबूबाबाद में शर्मनाक घटना
महबूबाबाद (तेलंगाना) में एक सरकारी अस्पताल में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने मानवता को झकझोर दिया है। अस्पताल के कर्मचारियों ने एक जीवित मरीज को केवल इस कारण से मोर्चरी में डाल दिया कि उसके पास आधार कार्ड और कोई सहायक नहीं था। यह घटना एक बार नहीं, बल्कि दो बार हुई।
राजू की दर्दनाक कहानी
पीड़ित का नाम राजू है, जो जयराम गांव का निवासी है। उसने मीडिया से बातचीत में बताया कि उसके पास कोई करीबी नहीं है। राजू ने कहा, "मैं ट्रैक्टर चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता हूं। छह दिन पहले किडनी की समस्या के चलते अस्पताल आया था, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि बिना आधार कार्ड और अटेंडेंट के इलाज नहीं होगा।"
राजू ने अपनी स्थिति का वर्णन करते हुए कहा, "मेरे कपड़े गंदे हो गए थे और बदबू आने लगी, इसलिए स्टाफ ने मुझे बाहर फेंक दिया और मोर्चरी के पास छोड़ दिया। उस रात बारिश हो रही थी, जिससे मैं पूरी तरह भीग गया। अगले दिन जब मैं कैंटीन में गया, तो मुझे फिर से मोर्चरी के अंदर के कमरे में भेज दिया गया।"
क्लीनिंग स्टाफ ने जब यह देखा, तो उन्होंने अधिकारियों को सूचित किया। इसके बाद पुलिस आई और डॉक्टरों ने राजू को आईवी फ्लूइड देकर इलाज शुरू किया।
सामाजिक प्रतिक्रिया और सरकारी कार्रवाई
इस घटना ने स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। उनका मानना है कि यह केवल चिकित्सा लापरवाही नहीं, बल्कि मानवता के खिलाफ एक गंभीर अपराध है।
राज्य सरकार ने तुरंत जांच के आदेश दिए हैं और अस्पताल प्रबंधन से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
महत्वपूर्ण सवाल
क्या किसी को केवल आईडी प्रूफ न होने के कारण इलाज से वंचित रखना उचित है?
क्या अस्पतालों में गरीब और अकेले मरीजों के लिए विशेष प्रावधान हैं?
क्या चिकित्सा प्रशिक्षण में 'मानवता' की शिक्षा अब पीछे छूट गई है?
यह मामला केवल तेलंगाना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के स्वास्थ्य प्रणाली के लिए एक चेतावनी है – जहां कभी-कभी 'सिस्टम' मानवता को भुला देता है।
