तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची से हटने पर विवाद, भाजपा ने किया खंडन

राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को आरोप लगाया कि उनका नाम बिहार की मतदाता सूची से हटा दिया गया है, जिससे चुनाव लड़ने में समस्या आ सकती है। भाजपा ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उनका नाम सूची में है। चुनाव आयोग ने भी इस मामले में जानकारी दी है कि वह राजनीतिक दलों को मुद्रित प्रतियां उपलब्ध करा रहा है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ।
 | 
तेजस्वी यादव का नाम मतदाता सूची से हटने पर विवाद, भाजपा ने किया खंडन

राजद नेता तेजस्वी यादव का मतदाता सूची से नाम हटने का दावा

राजद के नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को यह जानकारी दी कि बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को बिहार में 'ड्राफ्ट मतदाता सूची' जारी की, जिसमें 7.24 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल हैं, लेकिन 65 लाख से अधिक नामों को हटा दिया गया। आयोग का कहना है कि इनमें से अधिकांश लोग या तो मृत हैं या पलायन कर चुके हैं।


 


तेजस्वी यादव ने कहा, "मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं है। मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा?" दूसरी ओर, भाजपा ने इस दावे को झूठा बताया है। भाजपा नेता अमित मालवीय ने कहा कि तेजस्वी यादव का यह आरोप कि विशेष गहन पुनरीक्षण के बाद उनका नाम गायब है, गलत है। उनका नाम क्रमांक 416 पर है। उन्होंने कहा कि गलत जानकारी फैलाने से पहले तथ्यों की पुष्टि करनी चाहिए। मतदाताओं को गुमराह करने के प्रयासों का पर्दाफाश होना चाहिए।


 


भाजपा नेता ने सलाह दी कि कृपया गलत सूचना फैलाने से पहले तथ्यों की जांच करें। चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को जिलेवार मुद्रित प्रतियां उपलब्ध करा रहा है ताकि यदि कोई विसंगति हो, तो उसे 'दावों और आपत्तियों' के चरण के दौरान चिन्हित किया जा सके। यह चरण 'अंतिम नामावलियाँ' प्रकाशित होने से पहले 1 सितंबर तक जारी रहेगा। हालांकि, मुख्य विपक्षी दल राजद इस प्रणाली से असंतुष्ट है और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपे गए ज्ञापन में 'विधानसभा क्षेत्रवार' विभाजन की मांग की है ताकि इसे आसानी से डाउनलोड किया जा सके।