तुर्की ने पेश किए दो अत्याधुनिक बम, वैश्विक हथियार निर्यातक के रूप में उभरा

तुर्की ने हाल ही में इस्तांबुल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय रक्षा उद्योग मेले में दो अत्याधुनिक बमों, GAZAP और NEB-2 Ghost, का प्रदर्शन किया। ये बम न केवल अपने विनाशकारी प्रभाव के लिए जाने जाते हैं, बल्कि तुर्की को एक गंभीर हथियार निर्यातक के रूप में स्थापित करते हैं। GAZAP बम की विशेषता इसकी मल्टी-फ्रैगमेंट डिजाइन है, जबकि NEB-2 Ghost को दुनिया का सबसे प्रभावी बंकर बस्टर माना जाता है। इस लेख में इन बमों की विशेषताओं और तुर्की की बढ़ती सैन्य क्षमताओं पर चर्चा की गई है।
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तुर्की ने पेश किए दो अत्याधुनिक बम, वैश्विक हथियार निर्यातक के रूप में उभरा

तुर्की का नया हथियार प्रदर्शन

तुर्की अब केवल ड्रोन का निर्यातक नहीं रह गया है, बल्कि यह विनाशकारी बमों का निर्माता भी बन चुका है। इस्तांबुल में आयोजित अंतरराष्ट्रीय रक्षा उद्योग मेले (IDEF 2025) में, तुर्की ने दो अत्याधुनिक गैर-परमाणु बमों का प्रदर्शन किया है।


बमों की विशेषताएँ

इन बमों के नाम GAZAP और NEB-2 Ghost हैं, जिनका वजन 970 किलोग्राम है और इन्हें F-16 फाइटर जेट से लॉन्च किया जा सकता है। इस मेले में रक्षा कंपनियों, सेनाओं और रणनीतिक विश्लेषकों की उपस्थिति में, तुर्की ने न केवल अपने हथियारों का प्रदर्शन किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि वह अब एक महत्वपूर्ण हथियार निर्यातक बन चुका है।


GAZAP बम की विशेषताएँ

GAZAP बम को तुर्की के रक्षा मंत्रालय के अनुसंधान एवं विकास केंद्र द्वारा विकसित किया गया है। इसकी विशेषता यह है कि यह हर मीटर में 10.16 फ्रैगमेंट विस्फोट करता है, जबकि पारंपरिक बम केवल 3 मीटर के दायरे में ऐसा करते हैं। इस मल्टी-फ्रैगमेंट डिजाइन के कारण इसका प्रभाव और विस्फोटक क्षमता दोनों अधिक हो गई हैं। तुर्की के अधिकारियों का कहना है कि GAZAP अब पूरी तरह से परीक्षण और प्रमाणन प्रक्रिया से गुजर चुका है और उपयोग के लिए तैयार है।


NEB-2 Ghost: बंकर भेदी बम

दूसरा बम, NEB-2 Ghost, को दुनिया का सबसे प्रभावी बंकर बस्टर माना जा रहा है। यह बम इतनी ताकतवर है कि यह C50 ग्रेड कंक्रीट की 7 मीटर मोटी दीवार को भेद सकता है, जो अमेरिकी मिसाइलों द्वारा भेदे जाने वाले C35 ग्रेड कंक्रीट से तीन गुना मजबूत है। F-16 से इसकी टेस्टिंग के दौरान, इसे एक द्वीप पर गिराया गया, जहां इसने 90 मीटर गहराई तक जमीन में घुसकर भूस्खलन, गैस रिसाव और चट्टानों को चूर-चूर कर दिया। इसकी टाइम-डिले तकनीक के कारण विस्फोट 240 मिलीसेकंड पर हुआ, जिससे अधिक तबाही मचाई जा सकी।