तुर्की और अमेरिका का सैन्य अभ्यास: ईरान के लिए चिंता का विषय

तुर्की की दोगली नीति
तुर्की इस समय पाकिस्तान से आगे निकलता हुआ दिखाई दे रहा है, जहां एक ओर पाकिस्तान ईरान के साथ खड़ा होने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर उसके सेना प्रमुख आसिम मुनीर ट्रंप से मुलाकात कर लेते हैं। इसी तरह की स्थिति तुर्की में भी देखने को मिल रही है। तुर्की वर्तमान में मुस्लिम देशों के संगठन OIC के समिट की मेज़बानी कर रहा है, जिसमें ईरान-इजराइल युद्ध और फिलिस्तीन का मुद्दा प्रमुख है। इसके बावजूद, तुर्की इजराइल के मित्र के साथ युद्ध अभ्यास करने की योजना बना रहा है.
अमेरिकी वायु सेना का अभ्यास
अमेरिकी रक्षा विभाग की मीडिया सेवा के अनुसार, अमेरिका 23 जून से 4 जुलाई तक तुर्की द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय वायु सेना अभ्यास में नाटो सहयोगियों के साथ भाग लेगा। यह अभ्यास इटली के एवियानो एयरबेस पर तैनात US 31वें फाइटर विंग के लड़ाकू जेट्स द्वारा किया जाएगा, जो मध्य तुर्की के कोन्या में आयोजित होगा.
ईरान के लिए चिंता
अमेरिका पहले से ही मध्य पूर्व में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है और ईरान पर हमले की तैयारी कर रहा है। ऐसे में तुर्की का अमेरिका को अपनी जमीन पर युद्ध अभ्यास करने के लिए आमंत्रित करना ईरान के लिए चिंता का विषय बन सकता है, क्योंकि इससे अमेरिका को ईरान पर हमले का लाभ मिल सकता है.
अभ्यास का उद्देश्य
इस ड्रिल में अमेरिका के अलावा कई अन्य देशों की वायु सेनाएं भी शामिल होंगी। इसका मुख्य उद्देश्य यथार्थवादी परिस्थितियों में संयुक्त युद्ध प्रशिक्षण के माध्यम से परिचालन समन्वय में सुधार करना है। 31वें फाइटर विंग के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल टैड डी. क्लार्क ने कहा कि यह अभ्यास उच्च-स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करता है और सहयोगी बलों की एक साथ काम करने की क्षमता को मजबूत करता है.
सीरिया पर तुर्की का प्रभाव
इस समय इजराइल की वायु सेना सीरिया के एयरस्पेस का उपयोग कर ईरान पर हमले कर रही है। सीरिया में तुर्की समर्थित अल शरा की सरकार है। रिपोर्ट्स के अनुसार, तुर्की ने सीरिया को निर्देश दिए हैं कि वह इजराइल-ईरान युद्ध से दूर रहे। इस स्थिति में तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या वे वास्तव में मुसलमानों के नेता बनना चाहते हैं या केवल अपने हितों की पूर्ति कर रहे हैं.