तुर्किए का डबल गेम: रूस और यूक्रेन के बीच की सच्चाई

तुर्किए ने रूस-यूक्रेन युद्ध में एक जटिल भूमिका निभाई है, जिसमें उसने एक ओर रूस का समर्थन किया और दूसरी ओर यूक्रेन को अत्याधुनिक ड्रोन प्रदान किए। यह कदम अमेरिका और NATO के प्रति अपनी निष्ठा को दर्शाने के लिए उठाया गया। इस स्थिति ने तुर्किए के रूस और भारत के साथ संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। जानें इस दोहरे खेल के पीछे की सच्चाई और इसके संभावित परिणाम।
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तुर्किए का डबल गेम: रूस और यूक्रेन के बीच की सच्चाई

तुर्किए की दोहरी नीति

तुर्किए एक ऐसा राष्ट्र है जो एक ओर इस्लामिक देशों का नेतृत्व करने का प्रयास करता है, वहीं दूसरी ओर पश्चिमी देशों के साथ भी मजबूत संबंध बनाए रखता है। रूस-यूक्रेन युद्ध में तुर्किए की भूमिका हमेशा से संतुलित रही है, लेकिन हाल की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तुर्किए ने रूस के साथ दोहरा खेल खेला है।


रूस के प्रति तुर्किए का समर्थन

जब अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए, तब तुर्किए ने न केवल इसका विरोध किया, बल्कि कई मौकों पर रूस की मदद भी की। तुर्किए ने रूसी नागरिकों, पर्यटकों और प्रवासियों के लिए अपने दरवाजे खुले रखे। कई रूसी कंपनियों ने तुर्किए को अपना नया व्यापारिक केंद्र भी बना लिया।


यूक्रेन को ड्रोन की आपूर्ति

हाल ही में यह खुलासा हुआ है कि तुर्किए ने यूक्रेन को ऐसे खतरनाक ड्रोन प्रदान किए हैं, जिनकी मदद से यूक्रेन ने रूस के लगभग 40 बमवर्षक और लड़ाकू विमानों को नष्ट कर दिया। ये ड्रोन Bayraktar TB2 हैं, जो तुर्किए में निर्मित होते हैं और अपनी मारक क्षमता के लिए प्रसिद्ध हैं।


ड्रोन का महत्व और तुर्किए की रणनीति

Bayraktar TB2 एक अत्याधुनिक लड़ाकू ड्रोन है, जिसका उपयोग निगरानी और हमले दोनों के लिए किया जाता है। इसका डिज़ाइन सरल लेकिन प्रभावी है, जिसमें सीधा पंख और पीछे प्रोपेलर होता है। इसकी पहली उड़ान 2014 में हुई थी और अब तक 600 से अधिक यूनिट्स का निर्माण किया जा चुका है। यूक्रेन को 2019 से 2022 के बीच 72 ड्रोन मिले और युद्ध के बाद तुर्किए ने 8 और ड्रोन प्रदान किए।


तुर्किए की रणनीति का प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्किए ने ये ड्रोन केवल यूक्रेन की सहायता के लिए नहीं दिए, बल्कि यह कदम अमेरिका और NATO को संतुष्ट करने के लिए भी उठाया गया। तुर्किए NATO का सदस्य है और अमेरिका का हमेशा दबाव रहता है कि वह रूस से दूरी बनाए रखे। इस प्रकार, तुर्किए ने एक ओर दोस्ती का दिखावा किया और दूसरी ओर रूस के दुश्मन यूक्रेन को हथियार देकर दोहरा खेल खेला।


रूस-तुर्किए संबंधों पर असर

इस घटनाक्रम ने रूस और तुर्किए के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। पुतिन की सरकार इस कदम को तुर्किए की पीठ में छुरा घोंपने जैसा मानती है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय मंच पर तुर्किए खुद को मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन सच्चाई यह है कि अब तुर्किए न तो भारत का भरोसेमंद साथी रहा है और न ही रूस का।