तिरुपति मंदिर में मिलावटी घी का बड़ा खुलासा: 68 लाख लीटर नकली घी का गोरखधंधा
तिरुपति मंदिर में नकली घी का मामला
देशभर में नकली घी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है।
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) में मिलावटी घी के उपयोग से संबंधित एक नया मामला सामने आया है। यह मामला केवल मंदिर या श्रद्धालुओं की आस्था से नहीं जुड़ा है, बल्कि यह देश की खाद्य सुरक्षा और ईमानदारी पर भी गंभीर सवाल उठाता है। जांच में पता चला है कि 2019 से 2024 के बीच मंदिर को लगभग 68 लाख किलो मिलावटी घी की आपूर्ति की गई, जिसकी कुल कीमत लगभग ₹250 करोड़ है।
जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि यह मिलावटी घी उत्तराखंड की एक डेयरी से भेजा गया था। विशेष जांच दल (SIT) ने अजय कुमार को गिरफ्तार किया है, जो कई वर्षों से भोलेबाबा डेयरी के निदेशकों, पोमिल जैन और विपिन जैन के साथ मिलकर नकली घी बनाने के लिए रासायनिक सामग्री की आपूर्ति कर रहा था। यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी मात्रा में नकली घी कैसे तैयार किया जाता था और इसमें कौन से रसायनों का उपयोग किया जाता था।
नकली घी बनाने की प्रक्रिया
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के पूर्व निदेशक प्रदीप चक्रवर्ती के अनुसार, नकली घी बनाने के लिए पाम ऑयल में मोनोडिग्लिसराइड्स और एसिटिक एसिड एस्टर जैसे रसायनों का मिश्रण किया जाता था। उन्होंने बताया कि एक किलो नकली घी बनाने के लिए 600 एमएल पाम ऑयल, 300 एमएल स्टार्च और 100 एमएल असली घी का उपयोग किया जाता था। इन सामग्रियों को मिलाने के बाद घी की खुशबू के लिए एसेंस मिलाया जाता था। ये सभी पदार्थ सामान्यतः औद्योगिक उत्पादों में उपयोग होते हैं, लेकिन यहां इन्हें खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए इस्तेमाल किया गया।

घी में जानवरों की चर्बी का मिश्रण
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) में मिलावटी घी का मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि CBI और FSSAI की जांच में यह पाया गया कि इस घी में जानवरों की चर्बी भी मिलाई गई थी। जुलाई 2024 में जब TTD ने AR डेयरी की चार टैंकर घी की खेप की जांच की, तो उसे अस्वीकार कर दिया गया। लेकिन इन टैंकरों को वापस भेजने के बजाय इन्हें वैष्णवी डेयरी के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया।
गुजरात की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि AR डेयरी के घी में मछली का तेल, बीफ टैलो और लार्ड जैसे पदार्थ मिले थे। हालांकि, प्रयोगशाला ने यह भी कहा कि कुछ परिणाम ‘फॉल्स पॉजिटिव’ हो सकते हैं, यानी रिपोर्ट में गलती की संभावना से इंकार नहीं किया गया।
लड्डू प्रसाद में मिलावटी घी का उपयोग
तिरुपति मंदिर में लाखों भक्तों को प्रतिदिन लड्डू प्रसाद वितरित किया जाता है, जिसे पवित्र और शुद्ध माना जाता है। लेकिन SIT की जांच में यह सामने आया कि लड्डू बनाने में इस्तेमाल होने वाले 90% से अधिक घी में मिलावट थी। यह घी ‘वैष्णवी डेयरी’ और ‘एआर डेयरी’ जैसे नामों से मंदिर को सप्लाई किया जा रहा था। वास्तव में ये दोनों ब्रांड नकली घी के कारोबार को छिपाने के लिए बनाए गए थे।

नकली घी के स्वास्थ्य पर प्रभाव
प्रदीप चक्रवर्ती के अनुसार, नकली घी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है। इसका लंबे समय तक सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है, जिससे हृदयाघात और किडनी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। इसके अलावा, पेट की समस्याएं, गैस, कब्ज, जोड़ों में दर्द और गंभीर मामलों में कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
मिलावट का गोरखधंधा कैसे चलता था
- यह गोरखधंधा एक संगठित तरीके से चलाया जा रहा था, जिसमें कई लोग शामिल थे।
- पाम ऑयल में रासायनिक पदार्थ मिलाकर उसे घी जैसा गाढ़ा रूप दिया जाता था।
- फिर नकली घी को प्रसिद्ध ब्रांड नामों से पैक कर बाजार और मंदिरों में भेजा जाता था।
- इसके लिए फर्जी दस्तावेज, नकली बिल और परिवहन रिकॉर्ड तैयार किए जाते थे।
- जब मंदिर कोई खेप अस्वीकार कर देता था, तो उसे दूसरे ब्रांड नाम से दोबारा भेजा जाता था।
