तालिबान के खिलाफ महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति पर भारत में सियासी हलचल

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल पुरुष पत्रकारों को अनुमति देने के मामले ने भारत में राजनीतिक हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और सरकार से तालिबान शासन को पत्र लिखकर विरोध जताने की मांग की है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी और शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। जानें इस विवाद के पीछे की कहानी और नेताओं की प्रतिक्रियाएँ।
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तालिबान के खिलाफ महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति पर भारत में सियासी हलचल

अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों का बैन

तालिबान के खिलाफ महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति पर भारत में सियासी हलचल

प्रेस कॉन्फ्रेंस करते आमिर खान मुत्ताकी.Image Credit source: PTI


अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में केवल पुरुष पत्रकारों को प्रवेश की अनुमति देने का मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है। महिला पत्रकारों के लिए इस बैन ने भारत में राजनीतिक गर्माहट पैदा कर दी है, जहां विपक्षी दलों ने सरकार पर तीखा हमला किया है और तालिबान शासन को पत्र लिखकर विरोध जताने की मांग की है.


कांग्रेस के नेता राशिद अल्वी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह समझ से परे है कि भारत सरकार तालिबान के सामने झुक रही है, जो महिलाओं को प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने की अनुमति नहीं देता। यह निंदनीय है और इसके लिए भारत सरकार जिम्मेदार है, न कि आमिर खान मुत्ताकी।”


इस मामले पर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद और राहुल गांधी जैसे नेताओं ने भी अपनी आवाज उठाई है। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि तालिबान की मानसिकता को देखते हुए, हमारे विदेश मंत्री को इस मुद्दे को उठाना चाहिए।


विदेश मंत्रालय को तालिबान को पत्र लिखने की आवश्यकता

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “महिला पत्रकारों के साथ जो हुआ, वह अफगान दूतावास में हुआ। विदेश मंत्रालय को इस पर ध्यान देना चाहिए और तालिबान को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए।”


कांग्रेस नेता का बयान

कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद ने कहा कि हमें अफगानिस्तान के विदेश मंत्री को आमंत्रित नहीं करना चाहिए था, जो महिलाओं के खिलाफ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार को इस पर स्पष्टता से बात करनी चाहिए थी कि महिला पत्रकारों को भी शामिल किया जाएगा।”