तमिलनाडु में विजय की पार्टी का सम्मेलन: राजनीति में नया मोड़

तमिलनाडु में विजय की पार्टी टीवीके का सम्मेलन एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना बन गया है, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक समर्थक शामिल हुए। विजय के प्रभावशाली भाषण और अनुशासित भीड़ ने उनकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाया। पार्टी ने महिलाओं की सुरक्षा और युवाओं की आकांक्षाओं पर जोर दिया है, जिससे चुनावी गणित में बड़ा बदलाव संभव है। यदि टीवीके अपने फैन-बेस को चुनावी कैडर में बदलने में सफल होती है, तो 2026 विधानसभा चुनाव में तमिलनाडु की पारंपरिक राजनीति में बदलाव आ सकता है।
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तमिलनाडु में विजय की पार्टी का सम्मेलन: राजनीति में नया मोड़

विजय की पार्टी का सम्मेलन

तमिलनाडु की राजनीतिक परिदृश्य में आज एक महत्वपूर्ण घटना घटित हुई जब प्रसिद्ध अभिनेता विजय की पार्टी, तमिलागा वेत्त्री कझगम (टीवीके), ने मदुरै में एक सम्मेलन का आयोजन किया। इस कार्यक्रम ने न केवल उपस्थित लोगों की संख्या बल्कि इसके संदेश की गहराई से भी राजनीतिक हलचल पैदा की है। मदुरै के परापट्टी क्षेत्र में आयोजित इस सम्मेलन में लगभग डेढ़ लाख समर्थक शामिल हुए। विशाल मंच, चिकित्सा और सुरक्षा प्रबंध, साथ ही पानी और भोजन की व्यवस्था— सभी कुछ इस स्तर पर किया गया कि टीवीके को “फैन क्लब” से “व्यवस्थित संगठन” में परिवर्तित होते हुए दर्शाया गया। रैलियों में भीड़ हमेशा वोटों में नहीं बदलती, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में अनुशासित लोगों का जुटान यह दर्शाता है कि विजय की लोकप्रियता अब केवल पर्दे तक सीमित नहीं है।




विजय का भाषण संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली था। उन्होंने कहा, “जंगल में अनेक जानवर होते हैं, पर शेर एक ही होता है।” यह रूपक उन्हें “वैकल्पिक नेतृत्व” के रूप में प्रस्तुत करता है। उनका जोर अनुशासन, सुरक्षा और भ्रष्टाचार-विरोधी राजनीति पर था। जब विजय मंच पर आए, तो उनका स्वागत विशेष गीत के साथ किया गया। इस गीत की शुरुआत होती है– “जनता के राजा... स्नेह से भरे बड़े भाई... उत्सव के वीर, पेरियार के वंशज...” और आगे विजय खुद गाते हैं– “आपका विजय... आपका विजय, प्राण बनकर आया हूँ मैं।” इस गीत को सुनते ही उपस्थित जनसमूह ने जोरदार शोर मचाया। इसी पृष्ठभूमि में विजय ने मंच पर रैम्प वॉक करते हुए अपनी लोकप्रियता का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, पार्टी के अन्य पदाधिकारियों और विजय के भाषण से स्पष्ट है कि टीवीके किसी बड़े दल के साथ समझौता नहीं करेगी और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में विजय खुद सामने आएंगे। यह स्थिति उन्हें डीएमके और एआईएडीएमके जैसे पारंपरिक दिग्गजों से अलग करती है।




टीवीके ने पिछले एक वर्ष में बूथ-स्तरीय विस्तार, महिलाओं की भागीदारी और युवाओं को जोड़ने पर ध्यान केंद्रित किया है। विजय ने अपने भाषण में महिलाओं की सुरक्षा और युवाओं की आकांक्षाओं को प्राथमिकता दी। यदि टीवीके अपने फैन-बेस को चुनावी कैडर में बदलने में सफल होती है, तो राज्य की चुनावी गणित में बड़ा बदलाव संभव है।




युवा मतदाताओं के बीच रोजगार, शिक्षा और विशेषकर NEET परीक्षा का मुद्दा विजय की पकड़ को मजबूत करता है। उनकी पार्टी द्वारा महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देने से उन्हें बड़ी संख्या में महिलाओं का समर्थन मिल सकता है। यदि एआईएडीएमके और बीजेपी का समीकरण कमजोर होता है, तो एंटी डीएमके वोट उनके पक्ष में जा सकता है। तमिलनाडु के चुनावी समीकरण में, डीएमके अपने संगठित कैडर और कल्याण योजनाओं के बल पर अभी भी सबसे मजबूत खिलाड़ी है। वहीं, विपक्षी एआईएडीएमके और एनडीए का भविष्य अनिश्चित है; यदि टीवीके अलग लड़ती है, तो एंटी-डीएमके वोटों का बिखराव डीएमके को लाभ पहुँचा सकता है।




आज टीवीके के सम्मेलन की भीड़ को देखकर तीन संभावित परिदृश्य उभरते हैं। पहला- यदि टीवीके 30% से अधिक वोट प्राप्त करती है, तो 60–90 सीटों के साथ विपक्ष का मुख्य चेहरा बन सकती है। दूसरा- 20–25% वोट मिलने पर 25–50 सीटों की संभावना; तब गठबंधन राजनीति में उसकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी। तीसरा- यदि वोट 10–15% तक सीमित रहता है, तो सीटें कम आएँगी लेकिन एंटी-डीएमके वोट विभाजित होकर डीएमके को फायदा देंगे।




टीवीके के सामने चुनौतियाँ हैं, जैसे कि भीड़ को बूथ स्तर के वोट में बदलना, डीएमके के कल्याण मॉडल के मुकाबले ठोस और व्यावहारिक घोषणापत्र पेश करना, और गठबंधन न करने की रणनीति पर टिके रहना।




हालांकि, टीवीके के मदुरै सम्मेलन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी अब “फुटनोट” नहीं बल्कि “फैक्टर” बन गई है। विजय की स्टार पावर और साफ-सुथरी राजनीति की छवि ने जनता में उम्मीद जगाई है। यदि पार्टी संगठनात्मक कसौटी पर खरी उतरती है और युवाओं-महिलाओं की आकांक्षाओं को ठोस नीतिगत प्रस्तावों से जोड़ती है, तो 2026 विधानसभा चुनाव तमिलनाडु की पारंपरिक द्विध्रुवीय राजनीति को बदल सकते हैं।