तमिलनाडु में माकपा ने मतदाता सूची की प्रक्रिया पर उठाए सवाल

तमिलनाडु में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 2002 से संबंधित मतदाता सूची से नामों की ऑनलाइन खोज में कठिनाई का आरोप लगाया है। पार्टी ने निर्वाचन आयोग से गणना प्रपत्र जमा करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। माकपा ने आयोग के दावे पर भी संदेह जताया है कि 80 प्रतिशत मतदाताओं को प्रपत्र वितरित किए गए हैं। इसके अलावा, निरक्षर मतदाताओं को प्रपत्र भरने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। माकपा ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात कर सभी पात्र लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने का आग्रह किया है।
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तमिलनाडु में माकपा ने मतदाता सूची की प्रक्रिया पर उठाए सवाल

माकपा का आरोप

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की प्रमुख सहयोगी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 2002 से संबंधित मतदाता सूची से परिवार के सदस्यों के नामों का ऑनलाइन पता लगाने में कठिनाई का आरोप लगाया है।


निर्वाचन आयोग से समय सीमा बढ़ाने की मांग

माकपा ने निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया है कि मौजूदा एसआईआर (मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण) प्रक्रिया के तहत भरे हुए गणना प्रपत्र जमा करने की समय सीमा को चार दिसंबर, 2025 तक बढ़ाया जाए।


मतदाता प्रपत्र वितरण पर संदेह

माकपा ने आयोग के उस दावे पर सवाल उठाया है जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु में 13 नवंबर तक लगभग 80 प्रतिशत मतदाताओं को गणना प्रपत्र वितरित किए गए हैं। पार्टी ने अधिकारियों से उचित वितरण सुनिश्चित करने की मांग की है।


गणना प्रपत्र भरने में कठिनाई

माकपा की राज्य इकाई के सचिव पी. षणमुगम ने ज्ञापन में बताया कि बीएलओ को गणना प्रपत्रों के दायरे को समझने में कठिनाई होती है, जिससे वे मतदाताओं से स्वयं प्रपत्र भरने के लिए कहते हैं। उन्होंने कहा कि निरक्षर मतदाताओं को प्रपत्र भरने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा, इसलिए समय सीमा बढ़ाई जानी चाहिए।


मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात

ज्ञापन को 14 नवंबर को तमिलनाडु की मुख्य निर्वाचन अधिकारी अर्चना पटनायक को सौंपा गया। शणमुगम और राज्य समिति के सदस्य आई. अरुमुगा नयनार ने पटनायक से मुलाकात कर सभी पात्र लोगों को मतदाता सूची में शामिल करने का आग्रह किया।


ऑनलाइन डेटा की उपलब्धता

माकपा ने यह भी कहा कि 2002/05 से संबंधित मतदाता सूची से ऑनलाइन मतदाताओं के नाम खोजना बेहद कठिन है और अक्सर डेटा डाउनलोड नहीं किया जा सकता। पार्टी ने आरोप लगाया कि या तो अधिकारियों के पास जानकारी नहीं है या वे इसे साझा करने में अनिच्छुक हैं, जिससे प्रपत्र भरना संभव नहीं हो पा रहा है।