तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गाजा में नरसंहार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लिया
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने आज चेन्नई में सीपीआई(एम) द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, जिसमें गाजा में हो रहे नरसंहार की निंदा की गई। पिछले दो वर्षों में इज़राइल के सैन्य अभियान के कारण 67,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 20,000 बच्चे शामिल हैं। स्टालिन ने इस संकट पर कड़ा रुख अपनाते हुए युद्धग्रस्त क्षेत्र की स्थिति को दिल दहला देने वाला बताया।
Oct 8, 2025, 14:15 IST
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गाजा में नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके के प्रमुख एमके स्टालिन ने आज चेन्नई में सीपीआई(एम) द्वारा आयोजित एक बड़े विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस प्रदर्शन में आयोजकों ने गाजा में हो रहे नरसंहार की कड़ी निंदा की। पिछले दो वर्षों में इज़राइल द्वारा शुरू किए गए सैन्य अभियान के चलते 67,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी, जिनमें 20,000 बच्चे शामिल हैं, अपनी जान गंवा चुके हैं। इस प्रदर्शन में वरिष्ठ नेताओं जैसे के वीरमणि, वाइको, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. सेल्वापेरुंथगई, वीसीके प्रमुख थोल. थिरुमावलवन, टीएमएमके नेता प्रो. जवाहरुल्लाह और वामपंथी दलों के अन्य नेता भी शामिल होने की उम्मीद है। कल इज़राइल द्वारा गाजा पर हमले के दो साल पूरे हो गए।
गाजा में बच्चों की स्थिति
अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अनुसार, पिछले 24 महीनों में गाज़ा में हर घंटे एक बच्चे की मौत हुई है। यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 4,000 बच्चों ने कम से कम एक अंग खो दिया है, और 1.69 लाख से अधिक लोग घायल हुए हैं। गाज़ा का अधिकांश बुनियादी ढाँचा बर्बाद हो चुका है, और अधिकारियों को आशंका है कि मरने वालों की वास्तविक संख्या कहीं अधिक हो सकती है, क्योंकि कई लोग मलबे में दबे हुए हैं। इज़राइल के ये हमले अक्टूबर 2023 में हमास की सशस्त्र शाखा द्वारा किए गए हमले के बाद शुरू हुए, जिसमें 1,139 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकांश इज़राइली नागरिक थे। इज़राइल का कहना है कि उनके अभियान का लक्ष्य हमास आतंकवादियों को निशाना बनाना था, जबकि संयुक्त राष्ट्र जाँच आयोग सहित कई आलोचकों ने इसे नरसंहार करार दिया है।
स्टालिन का कड़ा बयान
एमके स्टालिन का मुखर रुख
स्टालिन ने हाल के दिनों में इस संकट पर स्पष्ट रूप से कड़ा रुख अपनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए, उन्होंने एक्स पर लिखा कि युद्धग्रस्त क्षेत्र का हर दृश्य दिल दहला देने वाला है। शिशुओं की चीखें, भूख से मरते बच्चों का दृश्य, अस्पतालों पर बमबारी और संयुक्त राष्ट्र जाँच आयोग द्वारा नरसंहार की घोषणा उस पीड़ा को दर्शाती है जो किसी भी इंसान को सहन नहीं करनी चाहिए।