तमिल संस्कृति को मिली नई पहचान: पीएम मोदी के प्रयासों का असर

तमिल संस्कृति का गर्व

हाल के वर्षों में, तमिलनाडु और विदेशों में रहने वाले तमिल लोगों को अपनी भाषा और संस्कृति पर गर्व महसूस करने का एक नया अवसर मिला है। इसका मुख्य श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को जाता है, जिसने तमिल भाषा और परंपराओं को वैश्विक पहचान दिलाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।
तमिल की आवाज़ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर
अब केवल भाषणों या सरकारी कार्यक्रमों में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र और G20 सम्मेलनों में भी तमिल की आवाज़ सुनाई देती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कई बार महान तमिल कवियों का उल्लेख किया है और तमिल को दुनिया की प्राचीन भाषाओं में से एक बताया है, जिससे तमिल समुदाय को गर्व होता है।
80 वर्षों के बाद, सरकार ने फिजी जैसे देशों में तमिल भाषा की शिक्षा शुरू की है, ताकि वहां के तमिल परिवार अपनी जड़ों और भाषा से फिर से जुड़ सकें।
सांस्कृतिक आयोजनों का महत्व
काशी तमिल संगमम् और सौराष्ट्र तमिल संगमम् जैसे आयोजनों में हजारों छात्र, विद्वान और परिवार शामिल हुए। ये आयोजन केवल त्योहार नहीं थे, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पुल का काम कर रहे थे।
शिक्षा में नई दिशा
अब तमिल भाषा में मेडिकल शिक्षा भी उपलब्ध है। इसके अलावा, केंद्र सरकार की कई परीक्षाओं में तमिल भाषा का विकल्प भी दिया गया है, जिससे तमिल युवाओं के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।
तमिल प्रतीकों का सम्मान
तमिल परंपरा का पवित्र राजदंड सेंगोल नई संसद में स्थापित किया गया है। G20 शिखर सम्मेलन में भगवान नटराज की भव्य प्रतिमा को प्रदर्शित किया गया, जो तमिल संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
तमिल साहित्य के महान व्यक्तित्व अगस्त्यर और तिरुवल्लुवर पर नए शोध और प्रचार-प्रसार हो रहा है, ताकि उनकी रचनाएँ विश्व स्तर पर पहुँच सकें।
पीएम मोदी की पहल
प्रधानमंत्री मोदी ने प्राचीन तमिल धरोहर स्थलों जैसे गंगईकोंडा चोलापुरम का दौरा किया, राजेंद्र चोल पर स्मारक सिक्का जारी किया और राजेंद्र व राजराजा चोल की विशाल प्रतिमाएँ स्थापित करने की घोषणा की।
विकास की नई लहर
तमिलनाडु में कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट शुरू हुए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- नई हाईवे
- भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेल ब्रिज (पंबन में)
- आधुनिक एयरपोर्ट टर्मिनल
- थूथुकुडी पोर्ट का विस्तार
- वंदे भारत ट्रेनें
- नए रेलवे स्टेशन
- हजारों घरों के लिए सोलर पावर
राज्य सरकार की चुनौतियाँ
केंद्र सरकार के प्रयासों के बीच, डीएमके सरकार पर कई सवाल उठते रहे हैं, जैसे:
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति और तीन-भाषा फॉर्मूले का विरोध
- शिक्षा के स्तर में गिरावट
- तमिल माध्यम में प्रोफेशनल कोर्स की कमी
- केंद्र की योजनाओं का पूरा लाभ न उठाना
तमिल को मिली नई पहचान
फिर भी, अधिकांश तमिल लोग मानते हैं कि उनकी भाषा और संस्कृति को अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। जो चीज़ पहले केवल क्षेत्रीय धरोहर मानी जाती थी, आज उसे भारत और दुनिया की सांस्कृतिक धरोहर माना जा रहा है। इसमें प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की नीतियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।