ढाका में श्री श्री दुर्गा मंदिर का ध्वंस: अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला

ढाका में मंदिर का विध्वंस
बांग्लादेश की राजधानी ढाका से एक अत्यंत दुखद और चौंकाने वाली घटना सामने आई है। खिलखेत क्षेत्र में स्थित श्री श्री दुर्गा मंदिर को बुलडोजर से पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है।
इस घटना में मंदिर में स्थापित देवी काली और भगवान शिव की मूर्तियों को भी बेरहमी से तोड़ दिया गया है।
यह केवल एक इमारत का ध्वंस नहीं है, बल्कि इसे हिंदू समुदाय की आस्था, संस्कृति और अधिकारों पर एक गंभीर हमला माना जा रहा है.
सरकार की भूमिका पर उठते सवाल
इस घटना के पीछे नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप है कि सरकार ने कट्टरपंथियों को रोकने के बजाय, इस मामले को 'अवैध भूमि पर निर्माण' का बताकर मंदिर को गिराने की अनुमति दी।
आलोचकों का कहना है कि यह एक बहाना था और असली मकसद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय को निशाना बनाना था। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार कट्टरपंथी ताकतों को यह संदेश दे रही है कि वे अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों को निशाना बना सकते हैं।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
भारत ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया है और इसकी निंदा की है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि कट्टरपंथी ताकतें ढाका के खिलखेत में दुर्गा मंदिर को गिराने की मांग कर रही थीं।
उन्होंने कहा, "अंतरिम सरकार ने मंदिर को सुरक्षा देने के बजाय, इसे अवैध भूमि उपयोग का मामला बताया और इसे नष्ट करने की अनुमति दी। यह गंभीर चिंता का विषय है कि बांग्लादेश में ऐसी घटनाएं बार-बार हो रही हैं।"
यह कोई अकेली घटना नहीं
यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है। हाल ही में, 'ह्यूमन राइट्स कांग्रेस फॉर बांग्लादेश माइनॉरिटीज' नामक मानवाधिकार संगठन ने दिनाजपुर जिले में एक मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को उजागर किया था।
इस प्रकार, ढाका में मंदिर का विध्वंस केवल एक कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने का स्पष्ट संकेत है। भारत की कड़ी प्रतिक्रिया और मानवाधिकार संगठनों की चिंता इस मामले की गंभीरता को दर्शाती है।