डोनाल्ड ट्रंप के नए वीजा नियमों से भारतीय आईटी कंपनियों पर पड़ेगा भारी असर

ट्रंप का नया वीजा नियम

डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिका में H1-B वीजा की फीस में अचानक वृद्धि ने भारत की प्रमुख आईटी कंपनियों को गंभीर संकट में डाल दिया है। ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू की गई नई नीति के अनुसार, अब एक H1-B वीजा आवेदन की लागत लगभग $100,000 (लगभग 83 लाख रुपये) हो गई है, जो पहले की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक है।
इस निर्णय के परिणामस्वरूप, TCS, Infosys, HCLTech और Wipro जैसी कंपनियों को अगले कुछ वर्षों में 150 से 550 मिलियन डॉलर (1,200 से 4,500 करोड़ रुपये तक) का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा। यह खर्च सीधे उनकी कमाई (EBITDA) और लाभप्रदता पर प्रभाव डालेगा।
डिलीवरी लागत में वृद्धि
भारतीय आईटी कंपनियों का लगभग 85% राजस्व अमेरिकी बाजार से आता है, जबकि उनके कर्मचारियों का 3-5% हिस्सा अमेरिका में कार्यरत है। जब इतनी बड़ी संख्या में लोग onsite काम करते हैं और उनकी वीजा लागत अचानक बढ़ जाती है, तो इससे डिलीवरी की कुल लागत में भारी वृद्धि होती है।
ऑफशोरिंग में वृद्धि, लेकिन सीमाएं
बढ़ती लागत से बचने के लिए कंपनियां अधिक से अधिक कार्य भारत जैसे सस्ते स्थानों से कराने का प्रयास करेंगी, जिससे ऑफशोरिंग में वृद्धि होगी। हालांकि, सभी कार्यों को भारत से संभालना संभव नहीं है। विशेषकर AI, साइबर सुरक्षा, और क्लाउड आर्किटेक्चर जैसे क्षेत्रों में कर्मचारियों को onsite भेजना आवश्यक होता है, जिसके लिए उन्हें भारी वीजा शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा।
स्थानीय नियुक्तियों और सब कॉन्ट्रैक्टिंग में वृद्धि
इस भारी शुल्क के कारण कंपनियां अब स्थानीय लोगों को नियुक्त करने या अमेरिकी कंपनियों के साथ सब कॉन्ट्रैक्टिंग करने पर विचार कर रही हैं। हालांकि, यह विकल्प भी सस्ता नहीं है और इसका प्रभाव प्रॉफिट पर पड़ेगा।
पहले, एक H1-B वीजा की कुल लागत $7,500 से $10,000 तक होती थी, जिसमें प्रीमियम प्रोसेसिंग और कानूनी शुल्क शामिल थे। अब यह लागत $100,000 तक पहुंच गई है, जो कंपनियों के लिए एक बड़ा वित्तीय बोझ बन गई है।
नए डील्स और परियोजनाओं पर प्रभाव
जुलाई 2025 तक लगभग 13 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट्स का नवीनीकरण होना है। इस नीति के कारण कंपनियों के लिए यह एक बड़ा सिरदर्द बन सकता है। उन्हें यह तय करना होगा कि क्या इतने महंगे वीजा के साथ प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाना फायदेमंद रहेगा या नहीं।
आईटी उद्योग की कमाई में गिरावट का अनुमान
एक रिपोर्ट के अनुसार, इस नई नीति का प्रभाव भारतीय आईटी सेक्टर के EBITDA पर 7-15% तक पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, TCS को FY23 में 7,000 कर्मचारियों के H1-B वीजा मंजूर हुए थे। यदि इनका नवीनीकरण 2025 में होता है, तो हर आवेदन पर अतिरिक्त $90,000 की लागत आएगी, जिससे TCS के मुनाफे पर 7-8% असर होगा।