डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल: व्यापार और कूटनीति में बदलाव
ट्रंप का कार्यकाल: एक नई दिशा
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष का समापन अब एक महीने से भी कम समय में होने वाला है। इस अवधि को 'टैरिफ, व्यापार और नखरे' के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो उनके राष्ट्रपति पद के दृष्टिकोण का सार प्रस्तुत करता है। ट्रंप का यह कार्यकाल कई अप्रत्याशित घटनाओं से भरा हुआ है। व्हाइट हाउस में लौटने के बाद, उन्होंने एक अनोखी 'गैर-राष्ट्रपति शैली' अपनाई है, जिसे कुछ विशेषज्ञ 'काउबॉय कूटनीति' के नाम से जानते हैं। उनके पास अभी भी तीन साल का कार्यकाल बाकी है।
कानूनी प्रोटोकॉल और व्यापारिक नीतियाँ
कानूनी प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए और कई मामलों को अदालतों में ले जाते हुए, ट्रंप ने व्हाइट हाउस का संचालन उच्च जोखिम वाले सौदों के दृष्टिकोण से किया है। चाहे वह व्यापार हो, युद्धविराम हो या दंडात्मक टैरिफ, उनके प्रशासन का मॉडल अब स्पष्ट हो चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप ने प्रक्रिया के बजाय गति, समझौते के बजाय दबाव और सिद्धांतों के बजाय सौदों को प्राथमिकता दी है।
अमेरिका की वैश्विक स्थिति
आक्रामक टैरिफ, कठोर आव्रजन नीतियाँ और लेन-देन आधारित कूटनीति ने अमेरिका के भीतर और विश्व के साथ उसके संबंधों को पुनर्परिभाषित कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप ने खुद को 'शांति के राष्ट्रपति' के रूप में प्रस्तुत किया है, लेकिन उनकी नीतियों ने अमेरिका की विश्वसनीयता और नेतृत्व की छवि को नुकसान पहुँचाया है। विदेश नीति विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव इसे उच्च प्रभाव वाला और विघटनकारी बताते हैं, जबकि पश्चिम एशिया के रणनीतिकार वाएल अव्वाद का कहना है कि वर्तमान प्रशासन एक 'धमकाने वाली शक्ति' के रूप में कार्य कर रहा है।
