डोकलाम संकट पर विदेश मंत्री का बयान: चीन के साथ बातचीत का महत्व

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने डोकलाम संकट के दौरान चीन के साथ बातचीत के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि विपक्ष के नेता ने सरकार से जानकारी लेने के बजाय चीनी राजदूत से संपर्क किया। जयशंकर ने अपने चीन दौरे का उद्देश्य स्पष्ट किया और 26/11 के हमले के बाद की प्रतिक्रिया पर भी चर्चा की। उनके बयान ने भारत और चीन के बीच के जटिल संबंधों को उजागर किया।
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डोकलाम संकट पर विदेश मंत्री का बयान: चीन के साथ बातचीत का महत्व

डोकलाम संकट के दौरान विदेश मंत्री का बयान

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करते हुए बताया कि डोकलाम संकट के समय विपक्ष के नेता ने सरकार से जानकारी लेने के बजाय चीनी राजदूत से संपर्क किया। यह तब हुआ जब हमारी सेना चीनी सेना के साथ डोकलाम में संघर्ष कर रही थी। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने चीन का दौरा तनाव कम करने, व्यापार प्रतिबंधों और आतंकवाद के खिलाफ अपने विरोध को स्पष्ट करने के लिए किया था।


चीन यात्रा का उद्देश्य

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि उनका चीन जाना ओलंपिक के लिए नहीं था और न ही गुप्त समझौतों के लिए। उन्होंने कहा कि उस समय चीन अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए स्टेपल्ड वीज़ा जारी कर रहा था। उन्होंने सदन को बताया कि कुछ लोग पूछ रहे थे कि वे आगे क्यों नहीं बढ़े, जबकि 26/11 के बाद निष्क्रियता को सबसे अच्छा विकल्प माना गया था।


26/11 के बाद की प्रतिक्रिया

जयशंकर ने 26/11 के हमले का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय की प्रतिक्रिया शर्म-अल-शेख में हुई थी, जहां तत्कालीन सरकार और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को दोनों देशों के लिए एक बड़ा खतरा माना था। उन्होंने यह भी कहा कि आज लोग अमेरिका और रूस के साथ संबंधों की बात कर रहे हैं, जबकि भारत को खुद को जोड़ने की आवश्यकता नहीं है।