डॉक्टरों ने 12 घंटे तक मौत से लड़ने वाले युवक को दी नई जिंदगी

ऋषिकेश में एक युवक को सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें आईं, जब एक सरिया उसके सीने में आर-पार हो गया। 12 घंटे की कठिनाई के बाद, डॉक्टरों ने सफल सर्जरी कर उसकी जान बचाई। जानें इस अद्भुत कहानी के बारे में, जिसमें परिवार की उम्मीदें फिर से जाग उठीं।
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डॉक्टरों ने 12 घंटे तक मौत से लड़ने वाले युवक को दी नई जिंदगी

सड़क दुर्घटना में युवक की जान बचाने की कहानी

Bars across the chest, fighting with death for 12 hours – doctor became god and donated life after surgery


ऋषिकेश में एक युवक को सड़क दुर्घटना में गंभीर चोटें आईं, जब एक पांच सूत का सरिया उसके सीने में आर-पार हो गया। युवक को एम्स पहुंचने में 12 घंटे लगे। ट्रामा विभाग की सर्जरी टीम ने रात के मध्य में सर्जरी शुरू की और चार घंटे की मेहनत के बाद सरिया को सफलतापूर्वक निकाल लिया। अब युवक खतरे से बाहर है और उपचाराधीन है।


कुछ दिन पहले अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर शिक्षिकाओं को ले जा रही एक कार और पिकअप की टक्कर हो गई। टक्कर के बाद पिकअप वाहन निर्माणाधीन पुलिया पर गिर गया, जिससे सरिया मोहित की छाती को चीरते हुए आर-पार हो गया। युवक का शरीर लगभग एक घंटे तक पुल पर फंसा रहा।


पुलिस ने सरिया को काटकर मोहित को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सुयालबाड़ी पहुंचाया। वहां से उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल भेजा गया, जहां से उसे एम्स रेफर किया गया। मुख्य सर्जन डा. मधुर उनियाल ने बताया कि जब युवक को एंबुलेंस से एम्स लाया गया, तब सरिया उसकी पीठ से अंदर घुसा हुआ था और सीने से बाहर निकला हुआ था।


हालांकि घटना सुबह 11 बजे हुई थी, लेकिन युवक को एम्स पहुंचने में रात के लगभग 12 बज गए। इस दौरान सर्जरी शुरू करने का निर्णय लिया गया। लगभग चार घंटे की सर्जरी के बाद मोहित की दाहिनी छाती खोलकर सरिया बाहर निकाला गया।


सर्जरी टीम में डा. नीरज कुमार, डा. अग्निवा, निश्चेतक डा. अजय कुमार और डा. मानसा शामिल थे। एम्स की निदेशक प्रोफेसर डा. मीनू सिंह ने चिकित्सकों की टीम को इस सफल सर्जरी के लिए बधाई दी। एनेस्थीसिया विभाग के डा. अजय कुमार ने बताया कि मोहित को 12 घंटे तक तिरछी स्थिति में रखा गया।


सर्जरी के लिए युवक को बेहोश करना चुनौतीपूर्ण था। सरिया फंसे होने के कारण उसे सीधा नहीं रखा जा सकता था। ऐसे में रिस्क लेते हुए डबल ल्यूमन ट्यूब डालकर उसे बेहोश किया गया। डा. मधुर उनियाल ने बताया कि यदि किसी के शरीर में सरिया घुस जाए, तो उसे स्वयं निकालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।


मोहित के पिता की दो दिन पहले मृत्यु हुई थी, और इस दुर्घटना की खबर ने परिवार को तोड़ दिया था। लेकिन एम्स के चिकित्सकों ने मोहित को नया जीवन देकर परिवार की उम्मीदों को फिर से जगाया है। अब मोहित खतरे से बाहर है और उसके परिवार के लिए चिकित्सक भगवान के समान हैं।