डॉ. रामनाथ कोविंद विजयादशमी उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे

विजयादशमी उत्सव का महत्व
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. रामनाथ कोविंद 2 अक्टूबर को नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विजयादशमी उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित होंगे। इस कार्यक्रम में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी शामिल होंगे। इस वर्ष का उत्सव विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह 1925 में संगठन की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है। इस अवसर पर 'शस्त्र पूजा' का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आरएसएस के सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित करते हैं और राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक मुद्दों पर अपने विचार साझा करते हैं।
दशहरा की परंपरा
विजयादशमी की शाम, सरसंघचालक स्वयंसेवकों से मिलते हैं, जो उन्हें आप्टा (शमी) के पत्ते भेंट करते हैं। यह दशहरा की एक परंपरा है, जो धन, सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक 'सोने' के आदान-प्रदान का प्रतीक है। यह आयोजन संघ के कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण तिथि है, और इस दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी अपना पारंपरिक संबोधन देंगे।
डॉ. कोविंद का राजनीतिक सफर
डॉ. रामनाथ कोविंद 2017 में राष्ट्रपति बने और उनका कार्यकाल 2022 में समाप्त हुआ। वह उत्तर प्रदेश से राष्ट्रपति बनने वाले पहले व्यक्ति हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं। राष्ट्रपति पद से पहले, उन्होंने 2015 से 2017 तक बिहार के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने 1994 से 2006 तक राज्यसभा के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। राजनीति में आने से पहले, वह 16 वर्षों तक वकील रहे और 1993 तक दिल्ली उच्च न्यायालय और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में वकालत की।
पिछले वर्ष के मुख्य अतिथि
2018 में, पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी ने नागपुर में आयोजित तृतीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग में भाग लिया था। पिछले साल, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन विजयादशमी कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे।