डॉ. मोहन भागवत के नाम पर वायरल झूठ का पर्दाफाश
सत्य की खोज में झूठ का पर्दाफाश

कहा जाता है कि सत्य हमेशा अपने रास्ते पर चलता है, जबकि झूठ कई बार घूमता है। यही हाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के साथ हुआ है। उनके वास्तविक बयान के विपरीत, एक झूठा और मनगढ़ंत बयान सोशल मीडिया पर पिछले दो दिनों से वायरल हो रहा है।
कुछ शरारती तत्वों ने एक संपादित पोस्टकार्ड के माध्यम से भगवान परशुराम से संबंधित एक झूठी कहानी बनाई, जो इतनी तेजी से फैली कि यह सोशल मीडिया के लगभग सभी प्लेटफार्मों पर देखी जा सकती है। कई स्थानों पर इसे हजारों लाइक्स, कमेंट्स और शेयर मिले हैं।
डॉ. भागवत का असली बयान
सत्य यह है कि “यह भारत के लिए जीने का समय है, मरने का नहीं” - यह डॉ. भागवत का मूल बयान है।
मीडिया आउटलेट्स जैसे कि जागरण और अन्य ने इस झूठ का पर्दाफाश करते हुए फैक्ट-चेक स्टोरी प्रकाशित की है। यहां हम वायरल हुए दोनों पोस्टकार्ड को साझा कर रहे हैं। लेकिन यह ध्यान देने योग्य है कि जो झूठ तेजी से फैला, उसके मुकाबले फैक्ट-चेक कितने लोगों तक पहुंचा, यह एक गंभीर सवाल है।
मुरैना से फैला झूठ
मुरैना से वायरल किया गया झूठ
डॉ. मोहन भागवत के नाम पर वायरल पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष राजीव तुली से संपर्क किया। उन्होंने इसे फर्जी बताया और कहा कि डॉ. भागवत ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।
जांच के दौरान, फर्जी पोस्ट करने वाले फेसबुक पेज का पता लगाया गया। यह झूठ कैलारस (मुरैना) से संचालित लोकनायक न्यूज द्वारा फैलाया गया था, जिसे बाद में हटा दिया गया। यह फेसबुक पेज सुनील मौर्य द्वारा चलाया जाता है।
