डॉ. मोहन भागवत का समाज से संवाद बढ़ाने का आह्वान

डॉ. मोहन भागवत ने हाल ही में एक कार्यक्रम में समाज के उत्थान के लिए शोधकर्ताओं और विश्वविद्यालयों से संवाद बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने संघ के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इसके मूल स्रोतों का अध्ययन करना चाहिए। भागवत ने शाखा के महत्व और राष्ट्र सेवा के लिए निस्वार्थता की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम में 34 विश्वविद्यालयों के 260 शोधार्थियों ने भाग लिया। जानें उनके विचार और संघ का उद्देश्य।
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डॉ. मोहन भागवत का समाज से संवाद बढ़ाने का आह्वान

समाज के उत्थान के लिए संवाद की आवश्यकता

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि समाज को लाभ पहुंचाने के लिए शोधकर्ताओं और विश्वविद्यालयों को समाज के साथ संवाद को बढ़ाना चाहिए। कुछ विषय केवल ज्ञान के लिए होते हैं, जबकि कई विषय समाज के विकास से जुड़े होते हैं। इसलिए, विश्वविद्यालयों का समाज से जुड़ाव मजबूत और निरंतर होना चाहिए।


युवा शोधार्थियों के साथ संवाद

डॉ. भागवत रविवार को मालवीय नगर में पाथेय कण संस्थान के सभागार में 'युवा शोधार्थी संवाद - शाश्वत मूल्य, नए आयाम' कार्यक्रम में युवा शोधार्थियों से बातचीत कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने शोधार्थियों के सवालों के जवाब भी दिए।


संघ के बारे में चर्चा

उन्होंने कहा कि संघ के बारे में चर्चा आजकल बहुत होती है, जिसमें संघ के समर्थक और विरोधी दोनों शामिल हैं। समर्थक प्रचार में पीछे हैं, जबकि विरोधी इस क्षेत्र में आगे हैं। उन्होंने कहा कि संघ के बारे में जानने के लिए इसके मूल स्रोतों पर जाना चाहिए और संघ साहित्य का अध्ययन करना चाहिए। संघ की शाखा में जाकर स्वयंसेवकों का जीवन देखना चाहिए।


शाखा का महत्व

डॉ. भागवत ने शाखा को जीवन और कार्य दोनों को साधने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि शाखा से अनुशासन, सामूहिकता, स्वभाव सुधार और अहंकार नियंत्रण का संस्कार मिलता है। संघ का कार्य केवल व्यक्ति निर्माण करना है और इसकी प्रक्रिया शाखा के माध्यम से होती है। स्वयंसेवक समाज परिवर्तन का कार्य करते हैं, जिससे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य संभव हो पाते हैं।


राष्ट्र सेवा का संदेश

उन्होंने कहा कि यदि किसी कारणवश शाखा से जुड़ना संभव न हो, तो भी व्यक्ति को अपने कार्य को उत्कृष्टता, निस्वार्थता और प्रामाणिकता से करना चाहिए। संघ के प्रति बाहरी छवि के आधार पर निर्णय न लेने की अपील की। संघ का उद्देश्य केवल संगठन का विस्तार नहीं, बल्कि व्यक्ति निर्माण के माध्यम से समाज परिवर्तन करना है।


संघ का लक्ष्य

डॉ. भागवत ने कहा कि संघ आज एक बड़े स्वरूप में है और इसकी कीर्ति स्थापित है, लेकिन संघ का मुख्य लक्ष्य राष्ट्र निर्माण है। यह कार्य अकेले संघ या किसी एक संगठन के प्रयास से नहीं हो सकता, बल्कि पूरे समाज को एक साथ आना होगा। यदि संगठन संतुष्ट होकर ठहर जाए, तो उसकी उपयोगिता धीरे-धीरे समाप्त हो सकती है।


सभी का योगदान आवश्यक

उन्होंने कहा कि संगठन का मूल लक्ष्य देश का उत्थान है, जो केवल संघ का काम नहीं, बल्कि हम सभी का काम है। डॉक्टर, इंजीनियर, कलाकार, हर किसी को नियमित अभ्यास की आवश्यकता है।


कार्यक्रम में भागीदारी

संवाद कार्यक्रम में राजस्थान के 34 विश्वविद्यालयों से 260 शोधार्थी और अध्येता शामिल हुए। इस अवसर पर राजस्थान क्षेत्र संघचालक डॉ. रमेश चन्द्र अग्रवाल सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।