डॉ. मोहन भागवत का जयपुर दौरा: उद्योग और समाज के लिए महत्वपूर्ण बैठकें
जयपुर में डॉ. मोहन भागवत का आगमन

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत बुधवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर पहुंचे। वे यहां संगठन के शताब्दी समारोह से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए पांच दिनों के लिए आए हैं। आरएसएस के सूत्रों के अनुसार, उनका यह दौरा 16 नवंबर तक जारी रहेगा। इस दौरान भागवत कई सामाजिक, सांस्कृतिक और विचार-विमर्श बैठकों में शामिल होंगे।
उद्योगपतियों के साथ बैठक
भागवत अपने प्रवास के दूसरे दिन, 13 नवंबर को शाम को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ एक विशेष बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक का मुख्य विषय राष्ट्र निर्माण में उद्योग की भूमिका रहेगा। संघ के राजस्थान क्षेत्रीय संघचालक रमेश अग्रवाल ने बताया कि यह चर्चा आरएसएस की शताब्दी वर्ष की गतिविधियों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय योगदान की दिशा तय करना है।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कई प्रमुख उद्योगपति, शिक्षाविद और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति भाग लेंगे। इसका उद्देश्य यह समझना है कि भारत की आर्थिक और सामाजिक संरचना में उद्योग किस प्रकार से जिम्मेदार भूमिका निभा सकते हैं।
ऐतिहासिक स्थलों का दौरा
डॉ. मोहन भागवत 14 नवंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय से जुड़े ऐतिहासिक स्थल धनक्या जाएंगे। उपाध्याय जी आरएसएस के विचारक और जनसंघ के संस्थापक नेताओं में से एक रहे हैं। वहां भागवत श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे और संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे।
इसके बाद वे मुरलीपुरा स्थित संघ के स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ दोपहर का भोजन करेंगे। 15 नवंबर को शाम 5:30 बजे वे एसएमएस इंडोर स्टेडियम में 'इंटीग्रल ह्यूमन फिलॉसफी रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। इस कार्यक्रम का विषय होगा वर्तमान वैश्विक परिदृश्य और एकात्म मानव दर्शन। संघ के अधिकारियों के अनुसार, इस आयोजन में नीति विशेषज्ञ, शोधकर्ता और युवा कार्यकर्ता शामिल होंगे। इसमें चर्चा होगी कि एकात्म मानव दर्शन आधुनिक वैश्विक चुनौतियों के समाधान में किस तरह उपयोगी हो सकता है।
पुस्तक विमोचन और संवाद कार्यक्रम
16 नवंबर को भागवत मालवीय नगर स्थित पाथेय भवन में ज्ञान गंगा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित नई पुस्तक और 'ये जीवन समर्पित' का विमोचन करेंगे। यह पुस्तक राजस्थान के दिवंगत आरएसएस प्रचारकों के जीवन और कार्यों पर आधारित है। कार्यक्रम में स्थानीय आरएसएस कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। इसके बाद वे संघ के विभिन्न समूहों से अलग-अलग अनौपचारिक बैठकों में संवाद करेंगे।
समावेशिता पर जोर
हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित संघ की 100 साल की यात्रा: नई होराइजन्स कार्यक्रम में डॉ. मोहन भागवत ने कहा था कि आरएसएस सभी समुदायों के लिए खुला है, बशर्ते व्यक्ति खुद को भारत माता का पुत्र और हिंदू समाज का हिस्सा माने। उन्होंने कहा कि संघ में कोई जाति या धर्म की सीमा नहीं है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह मुस्लिम हो या ईसाई, शाखा में शामिल हो सकता है, यदि वह इस देश की एकता और संस्कृति से जुड़ाव रखता है। उनके इन बयानों को सामाजिक एकता की दिशा में संघ के दृष्टिकोण की निरंतरता के रूप में देखा जा रहा है।
