डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह को मिला राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025

डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है। उनके शोध ने भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जानें उनकी शिक्षा, उपलब्धियां और वर्तमान में वे क्या कर रहे हैं।
 | 
डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह को मिला राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025

डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह: कृषि विज्ञान में उत्कृष्टता

डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह को मिला राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025

डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह


डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 24 वैज्ञानिकों को राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया। कृषि विज्ञान में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ. सिंह को विज्ञान श्री पुरस्कार से नवाजा गया है। उनके द्वारा किए गए गेहूं अनुसंधान ने भारत की खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आइए जानते हैं कि डॉ. सिंह की शिक्षा कहां हुई और वर्तमान में वे क्या कर रहे हैं।


खाद्य सुरक्षा में योगदान देने वाला शोध


डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह, जो आईसीएआर के नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज, नई दिल्ली से जुड़े हैं, भारत के प्रमुख गेहूं वैज्ञानिकों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने गेहूं की चार प्रमुख किस्मों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे न केवल उत्पादन में वृद्धि हुई है, बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। उनका शोध विशेष रूप से उन किस्मों पर केंद्रित रहा है, जो गर्मी और सूखे जैसी कठिन परिस्थितियों में भी बेहतर उत्पादन दे सकें।


उन्होंने मार्कर-असिस्टेड सेलेक्शन और प्रिसीजन फीनोटाइपिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके गेहूं सुधार में नई दिशा दी है। उनके प्रयासों का सीधा लाभ किसानों को मिला है, जिससे उनकी आय और खेती की स्थिरता में सुधार हुआ है।


शिक्षा


डॉ. सिंह का जन्म वाराणसी में हुआ और उन्होंने कृषि विज्ञान की पढ़ाई कृषि विज्ञान संस्थान और काशी हिंदू विश्वविद्यालय से की। 1996 से 2001 तक करनाल में वैज्ञानिक के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने अनुसंधान के क्षेत्र में कई नई उपलब्धियां हासिल कीं।


उपलब्धियां और सम्मान


उन्हें डॉ. बीपी पाल अवार्ड, रफी अहमद किदवई अवार्ड, डॉ. वीएस माथुर अवार्ड, और नानाजी देशमुख आउटस्टैंडिंग अवार्ड जैसे कई प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए हैं। वे नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज समेत कई वैज्ञानिक संस्थाओं के फेलो हैं। पौध प्रजनन पर उनके 188 शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उनका यह सम्मान युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और भारतीय कृषि अनुसंधान की वैश्विक पहचान को और मजबूत करता है।


ये भी पढ़ें-UP Police Bharti 2025: यूपी पुलिस में निकली वैकेंसी, 12वीं पास के लिए शानदार मौका, बिना फिजिकल टेस्ट होगा सिलेक्शन