डिलीवरी के बाद कमर और घुटनों के दर्द का समाधान: विशेषज्ञ की सलाह

डिलीवरी के बाद महिलाओं को अक्सर कमर और घुटनों में दर्द की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह दर्द कई कारणों से हो सकता है, जैसे वजन बढ़ना और गलत पोश्चर। विशेषज्ञ डॉ. अखिलेश यादव ने इस दर्द के पीछे के कारणों और उपचार के उपायों के बारे में जानकारी दी है। जानें कि कैसे फिजियोथेरेपी और सही खानपान से इस समस्या से राहत पाई जा सकती है।
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डिलीवरी के बाद कमर और घुटनों के दर्द का समाधान: विशेषज्ञ की सलाह

डिलीवरी के बाद दर्द की समस्या

डिलीवरी के बाद कमर और घुटनों के दर्द का समाधान: विशेषज्ञ की सलाह

घुटनों के दर्द का इलाज

महिलाओं को बच्चे की डिलीवरी के बाद कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें कमर और घुटनों में दर्द शामिल है। जिन महिलाओं का वजन बढ़ता है, उन्हें यह समस्या अधिक होती है। इसके अलावा, गलत तरीके से बच्चे को उठाने या दूध पिलाने से भी जोड़ों पर दबाव पड़ता है, जिससे दर्द उत्पन्न होता है। इस दर्द से राहत पाने के उपायों के बारे में विशेषज्ञों ने जानकारी दी है।

मैक्स हॉस्पिटल के आर्थोपैडिक विभाग के प्रमुख डॉ. अखिलेश यादव ने बताया कि डिलीवरी के समय रिलेक्सिन हार्मोन सक्रिय होता है, जो लिगामेंट्स को ढीला करता है। हालांकि, कई महिलाओं में इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है, जिससे जोड़ों में दर्द होता है। इसके अलावा, वजन बढ़ने और बीएमआई में वृद्धि का भी असर कमर और घुटनों पर पड़ता है।


मांसपेशियों की कमजोरी का प्रभाव

मांसपेशियों का कमजोर होना जाना भी है कारण

डॉ. यादव के अनुसार, बच्चे की देखभाल, गलत पोश्चर, और नींद की कमी के कारण महिलाओं की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इससे रीढ़ की हड्डी को पर्याप्त सहारा नहीं मिलता, जिससे रीढ़ में दर्द होता है। यह समस्या नॉर्मल और सिजेरियन दोनों प्रकार की डिलीवरी के बाद हो सकती है, लेकिन सिजेरियन के मामलों में अधिक देखी जाती है।


दर्द का उपचार

कैसे होता है इलाज?

डॉ. यादव ने बताया कि उनके पास कई महिलाएं आती हैं जो कई महीनों बाद भी दर्द से परेशान हैं। ऐसे मामलों में, दर्द के स्तर के अनुसार उपचार किया जाता है, जिसमें फिजियोथेरेपी और दवाओं का उपयोग किया जाता है।


दर्द से बचाव के उपाय

बचाव के लिए क्या करना चाहिए?

बच्चे को उठाते या दूध पिलाते समय कमर को सीधा रखें।

अगर दर्द अधिक हो, तो फिजियोथेरेपी कराएं।

संतुलित खानपान का ध्यान रखें।

डॉक्टर की सलाह पर विटामिन डी की दवाएं लें।

खुद से कोई दवा न लें।