डायबिटीज की बढ़ती समस्या: नींद की कमी का प्रभाव

डायबिटीज का बढ़ता प्रकोप
भारत में डायबिटीज के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और यह समस्या अब सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर रही है। खानपान और जीवनशैली के कारणों के साथ-साथ नींद की कमी भी इस बीमारी के बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण बन रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अच्छी नींद लेने से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे डायबिटीज का खतरा कम होता है।
डायबिटीज के बढ़ते मामलों के कारण चिंता बढ़ रही है, क्योंकि यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं जैसे गुर्दे की विफलता, दिल का दौरा, अंधापन, पैर का विच्छेदन और स्ट्रोक का कारण बन सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, विश्वभर में 500 मिलियन लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, जबकि भारत में यह संख्या 77 मिलियन तक पहुँच चुकी है। भारत अब दुनिया में डायबिटीज के रोगियों की संख्या में दूसरे स्थान पर है। अनुमान है कि 2045 तक यह संख्या 134 मिलियन तक पहुँच सकती है।
भारत में डायबिटीज के प्रति जागरूकता की कमी एक बड़ी चुनौती है। एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 48 प्रतिशत डायबिटीज रोगियों को यह भी नहीं पता कि उन्हें इस बीमारी के लक्षण हैं। इसके अलावा, कई लोग मिथकों में विश्वास करते हैं, जिससे सही जानकारी की कमी हो रही है। इसके परिणामस्वरूप, डायबिटीज का खतरा बढ़ता जा रहा है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है।
डायबिटीज के बारे में जानकारी होना उपचार में सहायक होता है। रक्त परीक्षण से यह निर्धारित किया जा सकता है कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं। यदि रक्त शुगर का स्तर 5.7 प्रतिशत से कम है, तो यह सामान्य है। 5.7 से 6.4 प्रतिशत के बीच होने पर व्यक्ति प्रीडायबिटिक हो सकता है, जबकि 6.5 प्रतिशत से अधिक का स्तर डायबिटीज का संकेत देता है। यदि स्तर 7 प्रतिशत से कम है, तो यह दर्शाता है कि डायबिटीज नियंत्रण में है, लेकिन 9 प्रतिशत से ऊपर होने पर यह ठीक से नियंत्रित नहीं है।
भारत में डायबिटीज का बढ़ता प्रकोप अब एक गंभीर समस्या बन चुका है। हर पांच में से दो भारतीय इस बीमारी का शिकार हैं। इसके कारण त्वचा की सूजन, लाल धब्बे, खुजली और चकत्ते जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह बीमारी अब एक “साइलेंट किलर” से “मेन किलर” बन चुकी है। अस्पतालों और जांच केंद्रों पर डायबिटीज के मरीजों की बढ़ती संख्या इसे महामारी का रूप दे रही है।
भारत को “डायबिटीज की खान” कहा जाता है। यह बीमारी अब वैश्विक और गैर-संचारी महामारी के रूप में फैल रही है। यहाँ की व्यस्त जीवनशैली, खराब खानपान, तनाव, मोटापा, शीतल पेय का सेवन, धूम्रपान और जंक फूड के कारण डायबिटीज के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। खासकर बच्चों में खेलकूद की कमी और मोबाइल पर समय बिताने की आदतें उन्हें भी इस रोग का शिकार बना रही हैं।
हालांकि, डायबिटीज को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए योग और प्राकृतिक उपचार सर्वोत्तम उपाय माने जाते हैं। नियमित प्राणायाम, व्यायाम और आसन करने से डायबिटीज पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यह एक प्रभावी तरीका है, जिससे इस बीमारी को सही तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
–बाल मुकुन्द ओझा। (यह लेखक के अपने विचार हैं)
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