डायबिटीज और नींद: स्वास्थ्य पर प्रभाव और सुधार के उपाय
डायबिटीज और नींद की समस्या
डायबिटीज और नींद की समस्या Image Credit source: Getty Images
डायबिटीज एक दीर्घकालिक मेटाबॉलिक विकार है, जिसमें शरीर इंसुलिन हार्मोन का सही ढंग से उपयोग नहीं कर पाता या इसकी पर्याप्त मात्रा का निर्माण नहीं कर पाता। इससे रक्त में ग्लूकोज़ का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शरीर की कोशिकाएं ऊर्जा का सही उपयोग नहीं कर पाती हैं। डायबिटीज के दो मुख्य प्रकार होते हैं: टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 में, शरीर का इम्यून सिस्टम पैंक्रियाज़ के इंसुलिन बनाने वाले कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जबकि टाइप 2 में, शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है या इसका उत्पादन कम हो जाता है। इसके पीछे मोटापा, खराब जीवनशैली, वसा का संचय, अस्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, आनुवंशिकी और तनाव जैसे कारक होते हैं।
डायबिटीज और नींद एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। उच्च रक्त शर्करा के स्तर के कारण रात में बार-बार प्यास लगना, निर्जलीकरण और बार-बार पेशाब आना सामान्य है, जिससे नींद में बाधा आती है। वहीं, जब शुगर अचानक कम होती है, तो बेचैनी, घबराहट, पसीना और तेज दिल की धड़कन के कारण नींद टूट जाती है। एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन लोगों की नींद कम होती है, उनमें भूख बढ़ाने वाले हार्मोन में बदलाव आता है, जिससे वजन बढ़ने का खतरा बढ़ता है, जो टाइप 2 डायबिटीज का एक बड़ा जोखिम है। इस प्रकार, खराब नींद से शुगर नियंत्रण बिगड़ता है और अनियंत्रित शुगर नींद को भी प्रभावित करती है। यही कारण है कि डायबिटीज के मरीजों में नींद संबंधी विकार अधिक होते हैं।
डायबिटीज के मरीजों में नींद का संबंध
आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉ. सुभाष गिरी के अनुसार, डायबिटीज के कई मरीजों में ओब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) पाया जाता है। OSA में सोते समय सांस कुछ सेकंड के लिए रुक जाती है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, नींद में व्यवधान आता है और दिन में थकान बनी रहती है। टाइप 2 डायबिटीज के लगभग आधे मरीजों में OSA की समस्या देखी जा सकती है।
इसके अतिरिक्त, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (RLS) भी डायबिटीज के मरीजों में आम है, खासकर जब नसों पर प्रभाव पड़ता है या शरीर में आयरन की कमी होती है। इस स्थिति में पैरों में झनझनाहट, जलन या बेचैनी होती है, जिससे नींद में कठिनाई होती है।
इंसुलिन प्रतिरोध और उच्च रक्त शर्करा के कारण तनाव हार्मोन भी बढ़ जाते हैं। यही कारण है कि कई डायबिटीज के मरीजों को इंसोम्निया का सामना करना पड़ता है, जिससे नींद आने या बनाए रखने में कठिनाई होती है। इन सभी समस्याओं के कारण नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिससे ग्लूकोज़ नियंत्रण भी बिगड़ने लगता है।
डायबिटीज में नींद का ध्यान कैसे रखें?
रात में भारी या देर रात का भोजन न करें।
सोने और उठने का समय नियमित रखें।
सोने से एक घंटा पहले फोन और लैपटॉप की स्क्रीन से दूरी बनाएं।
कमरे को शांत और आरामदायक बनाएं।
यदि आवश्यक हो, तो डॉक्टर से नींद संबंधी जांच करवाएं।
अच्छी नींद से शुगर नियंत्रण में सुधार होता है, और बेहतर शुगर नियंत्रण नींद को भी सुधारता है। यह एक आपसी संबंध है।
