ठाणे अदालत ने म्यांमा के आठ नागरिकों को अवैध प्रवास के लिए दो साल की सजा सुनाई

महाराष्ट्र के ठाणे की अदालत ने म्यांमा के आठ नागरिकों को भारत में अवैध रूप से रहने के लिए दो साल की सजा सुनाई है। अदालत ने यह भी कहा कि उनकी सजा पूरी होने के बाद उन्हें म्यांमा वापस भेजा जाएगा। न्यायाधीश ने यूएनएचसीआर द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड को भारत में मान्य नहीं माना, क्योंकि भारत ने 1951 की शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस मामले में एक भारतीय नागरिक को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।
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ठाणे अदालत ने म्यांमा के आठ नागरिकों को अवैध प्रवास के लिए दो साल की सजा सुनाई

अदालत का निर्णय

ठाणे, महाराष्ट्र की एक अदालत ने म्यांमा के आठ नागरिकों को भारत में अवैध रूप से रहने के आरोप में दो साल की जेल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, अदालत ने यह भी आदेश दिया कि उनकी सजा पूरी होने के बाद उन्हें देश से निष्कासित किया जाए।


यूएनएचसीआर कार्ड की वैधता

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जी टी पवार ने 10 जून को दिए गए फैसले में स्पष्ट किया कि संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) द्वारा जारी शरणार्थी कार्ड भारत में रहने के लिए मान्य नहीं हैं, क्योंकि भारत ने 1951 की शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस फैसले की प्रति शनिवार को जारी की गई।


दोषी करार और जुर्माना

अदालत ने सभी आठ आरोपियों को विदेशी (नागरिक) अधिनियम, 1946 के तहत दोषी ठहराया और प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। एक अन्य आरोपी, रियाज अहमद अकबर अली शेख, जो भारतीय नागरिक हैं, को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। उन पर इन म्यांमा नागरिकों की मदद करने का आरोप था।


पुलिस कार्रवाई

मामले के अनुसार, ठाणे जिले के उत्तन सागरी पुलिस ने 26 फरवरी 2024 को गुप्त सूचना के आधार पर चौकगांव जेट्टी पर छापा मारा, जहां से म्यांमा के आठ नागरिकों को गिरफ्तार किया गया।


न्यायालय का निष्कर्ष

न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि हालांकि आरोपियों के पास यूएनएचसीआर कार्ड हैं, लेकिन भारत इस समझौते का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। इसलिए, सभी आरोपी विदेशी हैं और बिना वैध दस्तावेजों के भारत में रह रहे हैं। अदालत ने आदेश दिया कि सभी दोषियों को उनकी सजा पूरी होने के बाद म्यांमा वापस भेजा जाए।