ट्रंप के नए टैरिफ प्रस्ताव से दवाइयों और तकनीकी उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की आशंका

डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में फार्मा सेक्टर को छोड़कर 60 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस कदम से दवाइयों, तकनीकी उत्पादों और महत्वपूर्ण खनिजों की कीमतों में वृद्धि की आशंका है। भारत, जो अमेरिका के लिए दवाइयों का प्रमुख सप्लायर है, इस निर्णय से प्रभावित होगा। ट्रंप का कहना है कि यह नीति अमेरिका की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है। जानें इस फैसले का वैश्विक बाजार पर क्या असर पड़ेगा।
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ट्रंप के नए टैरिफ प्रस्ताव से दवाइयों और तकनीकी उत्पादों की कीमतों में वृद्धि की आशंका

ट्रंप का टैरिफ प्रस्ताव

अप्रैल में, डोनाल्ड ट्रंप ने फार्मा क्षेत्र को छोड़कर 60 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि फार्मा सेक्टर पर ऐसे टैरिफ लगाए जाएंगे, जो पहले कभी नहीं देखे गए। इसके बाद, उन्होंने 90 देशों पर टैरिफ लागू किया। ट्रंप का उद्देश्य फार्मास्युटिकल्स पर टैरिफ लगाना है, और उनके हालिया बयान ने वैश्विक बाजार में हलचल मचा दी है। उन्होंने संकेत दिया है कि वह भविष्य में टैरिफ बढ़ा सकते हैं।


भारत पर प्रभाव

ट्रंप का यह निर्णय भारत पर गहरा असर डाल सकता है, क्योंकि भारत अमेरिका के लिए दवाइयों का एक प्रमुख सप्लायर है। यदि ट्रंप फार्मास्युटिकल्स पर टैरिफ लगाते हैं, तो इससे भारत के फार्मा उद्योग को भारी नुकसान होगा। 2024 में, भारत ने अमेरिका को 12.72 बिलियन डॉलर के फार्मास्युटिकल्स का निर्यात किया। ट्रंप प्रशासन ने पहले से ही टैरिफ के प्रभावों की तैयारी शुरू कर दी है, जिससे दवाओं, इलेक्ट्रॉनिक्स और बैटरी की कीमतें बढ़ सकती हैं।


ट्रंप की नई रणनीति

डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था को सुरक्षित रखने और चीन जैसे देशों पर दबाव बनाने के लिए आक्रामक टैरिफ नीति आवश्यक है। उन्होंने 30% तक बेसलाइन टैरिफ की बात की है, जिसे आवश्यक उत्पादों के लिए और बढ़ाया जा सकता है। उनके कैंपेन से जुड़े सूत्रों के अनुसार, फार्मास्युटिकल्स, सेमीकंडक्टर चिप्स और महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, क्योंकि ये अमेरिका की सुरक्षा और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।


वैश्विक प्रभाव

यह निर्णय केवल चीन पर ही नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों पर भी प्रभाव डालेगा, जो अमेरिकी बाजार में फार्मा, तकनीकी और खनिज आपूर्ति के बड़े स्रोत हैं।



  • फार्मा उद्योग: भारत अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। टैरिफ बढ़ने से भारत की फार्मा कंपनियों की लागत और प्रतिस्पर्धा प्रभावित होगी।

  • सेमीकंडक्टर चिप्स: दुनिया भर की इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इस पर निर्भर है। भारत, चीन, दक्षिण कोरिया और ताइवान के चिप उद्योग पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

  • महत्वपूर्ण खनिज: लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे खनिज जो बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहनों में आवश्यक हैं, उनकी कीमतें भी बढ़ सकती हैं।


ट्रंप का पूर्व रिकॉर्ड

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल (2016-2020) में भी टैरिफ को एक रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया था। विशेष रूप से, चीन के साथ व्यापार युद्ध ने वैश्विक बाजारों को प्रभावित किया था। अब एक बार फिर ऐसा संकट उत्पन्न हो रहा है, जिसे ट्रंप के आलोचक "प्रोटेक्शनिज्म 2.0" कह रहे हैं।


महंगाई की नई लहर?


  • दवाइयों की कीमतों में वृद्धि

  • मोबाइल, लैपटॉप, कार और इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद महंगे होंगे

  • बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहनों की तकनीक के उत्पादों की लागत में वृद्धि

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता