टीम इंडिया के लिए ब्रोंको टेस्ट: फिटनेस पर उठे सवाल

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम इंडिया की फिटनेस को बेहतर बनाने के लिए ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत की है। हालांकि, पूर्व क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने इस टेस्ट पर सवाल उठाते हुए चिंता व्यक्त की है कि यदि खिलाड़ी चोटिल होते हैं, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी। जानें इस टेस्ट की प्रक्रिया और इसकी आवश्यकता के बारे में।
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टीम इंडिया के लिए ब्रोंको टेस्ट: फिटनेस पर उठे सवाल

ब्रोंको टेस्ट की शुरुआत

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने टीम इंडिया की फिटनेस को और बेहतर बनाने के लिए ब्रोंको टेस्ट को लागू किया है। यह टेस्ट BCCI के सेंटर ऑफ एक्सिलेंस (COE) में शुरू किया गया है, जिसमें खिलाड़ियों को 6 मिनट के भीतर निर्धारित दौड़ पूरी करनी होगी।


रविचंद्रन अश्विन की चिंताएं

टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर रविचंद्रन अश्विन ने इस टेस्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस टेस्ट के दौरान कोई खिलाड़ी चोटिल होता है, तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? उनका मानना है कि इस टेस्ट को पूरा करने के प्रयास में खिलाड़ी चोटिल हो सकते हैं।


अश्विन का यूट्यूब चैनल पर बयान

अश्विन ने अपने यूट्यूब चैनल 'एश की बात' पर कहा कि जब भी टीम के ट्रेनर बदलते हैं, तो टेस्टिंग के तरीके में भी बदलाव होता है। उन्होंने कहा कि लगातार प्रशिक्षण के तरीकों में बदलाव खिलाड़ियों के लिए कठिनाई पैदा कर सकता है और चोट का खतरा बढ़ा सकता है।


ब्रोंको टेस्ट की प्रक्रिया

ब्रोंको टेस्ट में खिलाड़ियों, विशेषकर तेज गेंदबाजों को 6 मिनट में निर्धारित दौड़ पूरी करनी होती है। इसमें 20 मीटर शटल दौड़ से शुरुआत होती है, इसके बाद 40 मीटर और 60 मीटर की दौड़ होती है। कुल मिलाकर एक क्रिकेटर को बिना रुके पांच सेट (कुल 1200 मीटर) दौड़ने की अपेक्षा की जाती है। यह टेस्ट रग्बी और फुटबॉल में भी उपयोग किया जाता है।


इसकी आवश्यकता क्यों?

इंग्लैंड दौरे के दौरान टीम इंडिया के तेज गेंदबाजों को फिटनेस के मुद्दों का सामना करना पड़ा था। केवल मोहम्मद सिराज ने पांच टेस्ट मैच खेले, जबकि जसप्रीत बुमराह केवल तीन टेस्ट में शामिल हो सके। इसी कारण इस टेस्ट की आवश्यकता महसूस की गई है। यह टेस्ट पहले से मौजूद यो-यो टेस्ट के अतिरिक्त है।