टाटा समूह में छंटनी की नई लहर: कर्मचारियों की संख्या में भारी कमी
टाटा समूह में छंटनी का संकट
टाटा समूह में रतन टाटा के निधन के बाद से कई विवाद उभरकर सामने आए हैं। कभी बोर्ड रूम में मतभेद तो कभी ट्रस्ट के मुद्दे, ये सभी समाचारों की सुर्खियां बन रहे हैं। रतन टाटा के जीवित रहने तक इस कंपनी पर लोगों का विश्वास बना रहा, लेकिन उनके जाने के बाद से विवादों और छंटनियों ने लोगों के विश्वास को हिला दिया है। पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने 12,000 कर्मचारियों को निकाला, और अब एक बार फिर से बड़ी छंटनी की संभावना जताई जा रही है। टाटा की नौकरी को पहले सरकारी नौकरी के समान सुरक्षित माना जाता था, लेकिन हाल की छंटनी ने इस धारणा को बदल दिया है.
टाटा न्यू में संभावित छंटनी
टाटा समूह के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म टाटा न्यू में भी कर्मचारियों की संख्या में कमी की जा सकती है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टाटा डिजिटल अपनी रणनीति में तीसरी बार बदलाव करने जा रहा है। नए सीईओ सजित शिवनंदन कंपनी में बड़े बदलाव की योजना बना रहे हैं। टाटा न्यू की सुपरऐप में GMV-आधारित मॉडल से हटकर ग्रुप-लेवल इंटीग्रेशन की तैयारी की जा रही है। इस बदलाव के तहत कर्मचारियों की संख्या 50 प्रतिशत तक घटाई जा सकती है।
टाटा डिजिटल में छंटनी की संभावना
TCS के बाद अब टाटा डिजिटल में भी छंटनी की संभावना है। सितंबर में सीईओ का पद संभालने के बाद सजित शिवनंदन ने ऑपरेशन को स्टीमलाइन करने के लिए हेडकाउंट को 50 प्रतिशत तक घटाने की योजना बनाई है। बिगबास्केट और क्रोमा में भी बदलाव की तैयारी चल रही है, और इनके लिए नया रोडमैप तैयार किया जा रहा है।
TCS में हुई छंटनी
भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में हाल ही में बड़े पैमाने पर छंटनी की गई। 12,000 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया, लेकिन उन्हें 2 साल की सैलरी का भुगतान किया गया। इस छंटनी पर कंपनी ने लगभग 1135 करोड़ रुपये खर्च किए।
