झारखंड में 40 साल बाद जोड़े ने किया सामूहिक विवाह

झारखंड में एक दंपती ने 40 साल तक एक साथ रहने के बाद सामूहिक विवाह किया। इस समारोह में उनके बेटे की भी शादी करवाई गई। पंडित और पादरी ने विवाह संपन्न कराया, जिससे कई अन्य जोड़ों को भी सामाजिक मान्यता मिली। जानें इस अनूठे आयोजन के पीछे की कहानी और इसके महत्व के बारे में।
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झारखंड में 40 साल बाद जोड़े ने किया सामूहिक विवाह

सामूहिक विवाह का आयोजन

झारखंड में एक दंपती ने 40 वर्षों के साथ रहने के बाद विवाह के बंधन में बंधने का निर्णय लिया। सामूहिक विवाह के इस अवसर पर, पाको झोरा और सोमारी देवी ने शादी की, साथ ही उनके बेटे की भी शादी करवाई गई। 62 वर्षीय पाको और 56 वर्षीय सोमारी ने 40 साल एक साथ बिताए, लेकिन समाज की मान्यता के अभाव में वे पति-पत्नी नहीं माने जाते थे। बसंत पंचमी के अवसर पर, एक स्वयंसेवी संस्था द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में उन्होंने सात फेरे लिए।


बेटे का विवाह भी हुआ

पाको और सोमारी के बेटे जितेंद्र ने भी इस समारोह में अपनी पत्नी के साथ विवाह किया। चूंकि उनके माता-पिता की औपचारिक शादी नहीं हुई थी, इसलिए जितेंद्र को भी दंपती के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। इस अनूठे सामूहिक विवाह में कई अन्य जोड़ों ने भी भाग लिया। कुछ दंपतियों ने एक ही मंडप में विवाह किया, जबकि अन्य ने अपने नाती-पोतों को गोद में लेकर फेरे लिए। दिव्यांग बिनु मुंडा और सुकृता कुमारी ने भी इस अवसर पर औपचारिक शादी की।


पंडित और पादरी की भूमिका

इस समारोह में हिंदू युगलों का विवाह पंडित ने और ईसाई युगलों का पादरी ने कराया। सामाजिक मान्यता दिलाने का कार्य इस एनजीओ ने किया। निमित्त की सचिव निकिता ने बताया कि झारखंड के कई गांवों में ऐसे युगल हैं जिनका औपचारिक विवाह नहीं हुआ है और उनकी आर्थिक स्थिति विवाह का खर्च उठाने में असमर्थ है।


विवाह का महत्व

पति की मृत्यु के बाद पत्नी और बच्चों को संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता। इसके अलावा, महिलाओं की असामयिक मृत्यु पर उन्हें कब्रगाह में स्थान नहीं मिलता। बिना विवाह के रहने वाली महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए इस समारोह में 55 युगलों ने औपचारिक विवाह किया।