झारखंड के प्रवासी श्रमिक की मौत पर पत्नी ने मुआवजे की मांग की

झारखंड के गिरिडीह जिले के प्रवासी श्रमिक सीताराम यादव की उत्तर प्रदेश में मौत के बाद उनकी पत्नी सुमति देवी ने सरकार से मुआवजे की मांग की है। सुमति के पास यात्रा के लिए पैसे नहीं हैं और उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। इस घटना ने परिवार की आर्थिक स्थिति को और भी कठिन बना दिया है। जानें इस दुखद घटना के बारे में और क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
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झारखंड के प्रवासी श्रमिक की मौत पर पत्नी ने मुआवजे की मांग की

प्रवासी श्रमिक की दुखद मौत

झारखंड के गिरिडीह जिले के 38 वर्षीय प्रवासी श्रमिक की उत्तर प्रदेश में मृत्यु के बाद उसकी पत्नी ने सरकार से मुआवजे की मांग की है। मृतक की पत्नी, सुमति देवी (35), के पास यात्रा के लिए आवश्यक धन नहीं है और उसने राज्य सरकार से यात्रा का प्रबंध करने का अनुरोध किया है।


मृतक की पहचान और अंतिम संस्कार

रांची में राज्य प्रवासी श्रमिक नियंत्रण कक्ष के एक अधिकारी के अनुसार, सुमति देवी का पति, सीताराम यादव, एक सप्ताह पहले ट्रेन से यात्रा कर रहा था। राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने उसे पांच अगस्त को आगरा में बेहोशी की हालत में पाया। जीआरपी ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


अधिकारी ने बताया कि आगरा पुलिस ने यादव के दस्तावेजों के आधार पर उसके परिवार से संपर्क किया। प्रारंभ में, परिवार शव को पहचान नहीं सका, लेकिन बाद में मृतक के हाथ पर टैटू देखकर पहचान की।


परिवार की कठिनाई

हालांकि, परिवार उत्तर प्रदेश प्रशासन को यह साबित करने में असफल रहा कि मृतक उनका सदस्य था, जिसके कारण पुलिस ने शव को अज्ञात बताकर आगरा में अंतिम संस्कार कर दिया। सुमति देवी ने कहा कि उसका पति एक महीने पहले राजस्थान में रोजगार की तलाश में अपने घर से निकला था।


सुमति ने कहा, 'हम शव को पहचान नहीं सके क्योंकि हमें पता था कि यादव राजस्थान में हैं। जब हमने टैटू देखा, तब पहचान पाई, लेकिन तब तक अंतिम संस्कार हो चुका था। हम गरीब हैं और आगरा जाने के लिए पैसे नहीं हैं।'


सरकार से मदद की अपील

सुमति ने बताया कि शव न होने के कारण उनके पति का पुतला बनाकर अंतिम संस्कार किया गया। तीन बच्चों की मां सुमति ने कहा कि यादव परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। उसने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मैं कैसे गुजारा करूंगी। मैं सरकार से मदद की गुहार लगाती हूं।'


नियंत्रण कक्ष के अधिकारी ने कहा कि अपंजीकृत प्रवासी श्रमिकों के लिए 1.5 लाख रुपये के मुआवजे का प्रावधान है, जिसमें शव लाने के लिए 50,000 रुपये शामिल हैं। चूंकि अंतिम संस्कार हो चुका है, परिवार एक लाख रुपये का दावा कर सकता है, लेकिन इसके लिए आगरा में प्राथमिकी दर्ज करानी होगी और वैध दस्तावेज पेश करने होंगे। सुमति देवी ने कहा कि इस संकट में सरकार ही उनकी एकमात्र उम्मीद है।