झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल: क्या सोरेन भाजपा के करीब जा रहे हैं?

झारखंड की राजनीति में हालिया घटनाक्रमों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी की दिल्ली यात्रा, भाजपा के साथ बढ़ती नजदीकियां, और महागठबंधन में तनाव ने राजनीतिक हलचल को बढ़ा दिया है। क्या सोरेन भाजपा के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार हैं? यह स्थिति न केवल झारखंड, बल्कि पूरे विपक्षी फ्रेमवर्क पर भी असर डाल सकती है। जानें इस राजनीतिक उथल-पुथल के पीछे की सच्चाई।
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झारखंड की राजनीति में उथल-पुथल: क्या सोरेन भाजपा के करीब जा रहे हैं?

झारखंड की राजनीतिक स्थिति

झारखंड की राजनीतिक स्थिति इस समय असामान्य गतिविधियों से भरी हुई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की भाजपा के साथ बढ़ती नजदीकियों ने नए राजनीतिक समीकरणों की अटकलों को जन्म दिया है। हालांकि, झामुमो, कांग्रेस और राजद ने इन अटकलों को महज अफवाह बताया है, लेकिन हाल की घटनाओं ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।


मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा

यह अटकलें तब शुरू हुईं जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन की राष्ट्रीय राजधानी में लंबी रुकने और भाजपा नेताओं से कथित मुलाकातों की खबरें आईं। इसी दौरान झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार की केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात ने इस घटनाक्रम को और संदिग्ध बना दिया।


गठबंधन में तनाव

झामुमो, कांग्रेस और राजद के बीच अंदरूनी खटास की खबरें भी सामने आ रही हैं। बिहार विधानसभा चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर झामुमो और महागठबंधन के बीच तनाव खुलकर सामने आया था। झामुमो ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस और राजद ने उन्हें जानबूझकर किनारे किया, जबकि वह महागठबंधन का हिस्सा हैं।


सोरेन दंपति की वापसी

दिल्ली में कई दिनों तक रहने के बाद, सोरेन दंपति 5 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले रांची लौट आए हैं। झामुमो का कहना है कि दिल्ली यात्रा पारिवारिक चिकित्सकीय कारणों से थी और मुख्यमंत्री ने प्रवर्तन निदेशालय से जुड़े मामलों के लिए कानूनी सलाह भी ली।


कांग्रेस का बयान

कांग्रेस ने भाजपा पर 'अफवाह फैलाने' का आरोप लगाते हुए कहा है कि गठबंधन पूरी मजबूती से चल रहा है। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने राजनीतिक उथल-पुथल की खबरों को बेबुनियाद बताया है। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि विधानसभा का गणित संभावित फेरबदल की गुंजाइश पैदा करता है।


भाजपा की स्थिति

भाजपा ने गठबंधन की संभावना से इंकार करते हुए कहा है कि सोरेन सरकार 'भ्रष्टाचार में डूबी' हुई है। लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों का रुख बताता है कि भाजपा परदे के पीछे से समर्थन देने के विकल्प पर विचार कर सकती है, यदि इससे कांग्रेस कमजोर होती है।


झारखंड की राजनीति का व्यापक प्रभाव

झारखंड की मौजूदा राजनीतिक हलचल केवल एक राज्य की राजनीति नहीं है; यह 'इंडिया गठबंधन' पर भी असर डालती है। यदि हेमंत सोरेन इस गठबंधन से अलग होते हैं, तो इसका बड़ा राजनीतिक और प्रतीकात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे कांग्रेस और राजद की पकड़ कमजोर होगी और विपक्षी एकता को भी झटका लगेगा।