झांसी में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर विवाद, महिला ने अभियंता को मारा

झांसी के बबीना थाना क्षेत्र में स्मार्ट मीटर लगाने के दौरान एक महिला ने बिजली विभाग के अभियंता पर हमला कर दिया। सपना तोमर ने आरोप लगाया कि अभियंता ने उनके साथ अभद्रता की और उन्हें परेशान किया। इस घटना के बाद सपना ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है। मामले की जांच महिला उपनिरीक्षक द्वारा की जा रही है। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और पान सिंह तोमर के परिवार का इतिहास।
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झांसी में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर विवाद, महिला ने अभियंता को मारा

झांसी में विवादित मीटर इंस्टॉलेशन

झांसी जिले के बबीना थाना क्षेत्र में बुधवार को पंजाबी कॉलोनी में स्मार्ट मीटर लगाने के दौरान एक विवाद उत्पन्न हो गया। इस घटना में पान सिंह तोमर की नातिन ने बिजली विभाग के अवर अभियंता पर हमला किया।


सपना तोमर ने आरोप लगाया कि अभियंता ने उनके साथ अभद्रता की और उन्हें काफी करीब आकर परेशान किया। सपना ने इस घटना की शिकायत बबीना थाने में की है और चेतावनी दी है कि यदि उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई, तो वे डीआईजी से न्याय की मांग करेंगी।


गुरुवार को सपना ने अपनी शिकायत में बताया कि बिजली विभाग की टीम बिना पूर्व सूचना के उनके घर पहुंची और मीटर उखाड़ने लगी, जबकि उनका बिजली बिल पूरी तरह से भरा हुआ था। उन्होंने निवेदन किया कि घर में कोई पुरुष नहीं है और तीन दिन बाद मीटर बदलने का अनुरोध किया, लेकिन टीम ने उनकी बात नहीं मानी।


बबीना थाना प्रभारी निरीक्षक तुलसीराम पांडे ने कहा कि दोनों पक्षों की शिकायतें प्राप्त हुई हैं। बिजली विभाग की ओर से कार्य में बाधा डालने का मामला दर्ज किया गया है। महिला उपनिरीक्षक मनु चौधरी को मामले की निष्पक्ष जांच के लिए नियुक्त किया गया है।


सपना ने यह भी कहा कि अभियंता ने बिना किसी सूचना के मीटर उखाड़ना शुरू कर दिया और 5000 रुपये की अवैध मांग की। जब उन्होंने पैसे देने से मना किया, तो अभियंता ने रिकॉर्डिंग शुरू कर दी। सपना ने कहा कि उन्होंने आत्मरक्षा में प्रतिक्रिया दी।


बबीना की पंजाबी कॉलोनी में स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा था, जब सपना ने इसका विरोध किया। इसके बाद सपना और अवर अभियंता विभव कुमार रावत के बीच झगड़ा हुआ। अन्य कर्मचारियों ने बीच-बचाव किया और सपना की मां ने उसे अंदर ले जाकर स्थिति को संभाला।


पान सिंह तोमर, जो एक पूर्व सैनिक थे, ने अपने समय में कई दौड़ प्रतियोगिताओं में भाग लिया और राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीते। उनके परिवार में जमीनी विवाद के कारण कई कठिनाइयाँ आईं, जिसके चलते उन्होंने बागी बनकर डकैत बनने का निर्णय लिया।