जोहरान ममदानी की जीत: ट्रंप की नीतियों का असर और अमेरिकी राजनीति में बदलाव
जोहरान ममदानी का उदय
जोहरान ममदानी
न्यूजर्सी और वर्जिनिया में गवर्नर के साथ-साथ न्यूयार्क में मेयर के पद पर डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां उनकी खुद की पार्टी को भी नुकसान पहुँचा रही हैं। इन चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी ने सभी प्रमुख पदों पर जीत हासिल की, जबकि रिपब्लिकन पार्टी को कहीं भी सफलता नहीं मिली। यहां तक कि कई रिपब्लिकन मतदाताओं ने भी डेमोक्रेट उम्मीदवारों को वोट दिया। न्यूयार्क में जोहरान ममदानी की मेयर के रूप में जीत ने डेमोक्रेट्स को भी चौंका दिया है, क्योंकि वे ममदानी को अल्ट्रा सोशलिस्ट मानते हैं। भारतीय मूल के वैज्ञानिक डॉ. महेंद्र सिंह का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी में अधिकांश लोग यथास्थितिवादी हैं और ममदानी की जीत से वे संतुष्ट नहीं हैं।
बराक ओबामा का प्रभाव
बराक ओबामा की बांछें खिलीं
इसलिए, जोहरान ममदानी के चुनाव प्रचार से डेमोक्रेटिक पार्टी के कई बड़े नेता दूर रहे। पार्टी के श्वेत नेताओं ने यथास्थिति को प्राथमिकता दी, जिससे वे ममदानी के प्रचार में शामिल नहीं हुए। हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा का प्रभाव इन चुनावों में स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। ओबामा ने न्यूजर्सी की गवर्नर मिकी शेरिल के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और ममदानी के लिए भी समर्थन दिया। ओबामा को पता है कि ममदानी जैसे नेता अमेरिकी राजनीति में एक नया दृष्टिकोण लाएंगे, लेकिन वे राष्ट्रपति चुनाव में नहीं भाग ले सकते क्योंकि वे जन्म से अमेरिकी नागरिक नहीं हैं।
ममदानी की चुनौतियाँ और वादे
ममदानी अपने वायदों पर खरे उतरेंगे!
वर्जिनिया में अबीगेल स्पैनबर्गर की जीत भी डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है। ओबामा ने डोनाल्ड ट्रंप को घेरने का प्रयास किया है, लेकिन ममदानी की छवि अन्य अमेरिकी नेताओं से भिन्न है। उनके अल्ट्रा सोशलिस्ट विचारों और मुस्लिम समुदाय के समर्थन ने उन्हें एक नई पहचान दी है। डॉ. महेंद्र का मानना है कि यदि ममदानी अपने वादों पर खरे उतरते हैं, तो वे अमेरिकी राजनीति में एक नया मोड़ ला सकते हैं।
ममदानी का चुनावी सफर
ममदानी जन्म से अमेरिकी नहीं हैं
जोहरान ममदानी ने न्यूयार्क के मेयर पद का चुनाव 50.4 प्रतिशत वोट के साथ जीता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें हराने की अपील की थी, लेकिन ममदानी ने अपनी जीत से सभी को चौंका दिया। ममदानी भारतीय मूल के मुसलमान हैं, जिनका जन्म युगांडा में हुआ था, लेकिन उनकी शिक्षा न्यूयार्क में हुई।
ट्रंप की अपील का असर
ट्रंप की हराने की अपील के बावजूद वोट ममदानी को मिले
34 वर्ष की उम्र में मेयर बनने वाले ममदानी पहले मुस्लिम हैं। उन्होंने ट्रंप, इज़राइल के राष्ट्रपति नेतन्याहू और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी नफरत का इज़हार किया है। ट्रंप ने ममदानी को हराने के लिए निर्दलीय उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो को वोट देने की अपील की, लेकिन ममदानी ने चुनाव जीत लिया। न्यूयार्क में मेयर की शक्ति बहुत होती है, क्योंकि यह अमेरिका की आर्थिक राजधानी है।
आर्थिक चुनौतियाँ
AI की मार से बेहाल अमेरिकी
हालांकि न्यूयार्क आर्थिक राजधानी है, लेकिन यहां की स्थिति चिंताजनक है। उच्च किराए और बेरोजगारी ने लोगों को परेशान कर रखा है। एआई ने हजारों लोगों को बेरोजगार कर दिया है। ममदानी ने फ्री बिजली, फ्री ट्रांसपोर्ट और फ्री एजुकेशन का वादा किया है, जो लोगों के लिए राहत का कारण बन सकता है।
ममदानी के वादे
ममदानी ने केजरीवाल जैसे वायदे किए
ममदानी ने नरेंद्र मोदी की आलोचना की है, जिससे हिंदू समुदाय नाराज़ है। लेकिन न्यूयार्क में हिंदू समुदाय भी महंगाई से प्रभावित है, इसलिए उन्होंने भी ममदानी को वोट दिया। प्रोफेसर चरण सिंह का कहना है कि ममदानी ने अपने लक्ष्यों को उसी समुदाय पर केंद्रित किया है।
ममदानी का ट्रंप के सामने आना
ममदानी ट्रंप के सीधे सामने आ गए
अमेरिका में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर अतुल अरोड़ा का कहना है कि लोग सरकारी सहायता पर निर्भर हैं। ममदानी द्वारा किए गए वादे लोगों को राहत दे सकते हैं। यह संभावना है कि ममदानी को भविष्य में ट्रंप के समक्ष चुनौती के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
अमेरिकी राजनीति में बदलाव
अमेरिकी राजनीति में शीर्षासन
जोहरान ममदानी ने अमेरिकी राजनीति में एक नया मोड़ लाने का संकेत दिया है। उनकी जीत ने न केवल अमेरिका की राजनीति को प्रभावित किया है, बल्कि यह उन देशों की राजनीति में भी बदलाव लाएगी जो अमेरिकी सहायता पर निर्भर हैं।
