जोकीहाट विधानसभा चुनाव: पूर्व मंत्रियों के बीच रोचक मुकाबला
बिहार की जोकीहाट विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल काफी दिलचस्प है, जहां तीन पूर्व मंत्री आमने-सामने हैं। इस बार AIMIM के गढ़ में भी दरारें दिख रही हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जीत-हार का अंतर कम होगा। जानें इस सीट पर पिछले चुनावों का इतिहास और वर्तमान में कौन-कौन से उम्मीदवार मैदान में हैं।
                                         | Nov 4, 2025, 10:59 IST
                                            
                                        
                                        
                                    जोकीहाट विधानसभा सीट पर चुनावी हलचल
  बिहार की जोकीहाट विधानसभा सीट पर चुनावी माहौल काफी रोमांचक हो गया है। इस बार यहां तीन पूर्व मंत्री एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। AIMIM के गढ़ में भी दरारें नजर आ रही हैं। जोकीहाट सीट पर चार प्रत्याशियों के बीच मुकाबला बेहद दिलचस्प है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार जीत-हार का अंतर भी काफी कम रहने की संभावना है।  
  
  प्रतियोगियों की सूची
  जोकीहाट विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल ने शाहनवाज आलम को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, जनसुराज पार्टी ने सरफराज आलम को चुनावी दौड़ में उतारा है। AIMIM ने मुर्शीद आलम को मैदान में उतारा है, जबकि जदयू से मंजर आलम भी चुनावी मुकाबले में शामिल हैं। यह क्षेत्र कभी स्व. तस्लीमुद्दीन के नाम से जाना जाता था, जिनके बेटों के बीच यह मुकाबला हो रहा है। तस्लीमुद्दीन की राजनीतिक विरासत को उनके दोनों बेटों ने चुनावी परिदृश्य में बदल दिया है। 
  पिछले चुनावों का विश्लेषण
  साल 2020 के विधानसभा चुनाव में सरफराज आलम ने राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें उनके छोटे भाई और एआईएमआईएम के उम्मीदवार शाहनवाज आलम ने हराया था। शाहनवाज ने 7,383 वोटों से जीत हासिल की थी और बाद में आरजेडी में शामिल हो गए थे। इस सीट पर जेडीयू ने चार बार, जबकि कांग्रेस, आरजेडी, जनता दल और निर्दलीय उम्मीदवारों ने दो-दो बार जीत दर्ज की है। 
  
  जोकीहाट विधानसभा सीट का इतिहास
  जोकीहाट विधानसभा सीट, जो अररिया जिले में स्थित है, का गठन 1967 में हुआ था। तब से अब तक इस सीट पर 16 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 1996 और 2008 में उपचुनाव भी शामिल हैं। इस सीट पर तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों का वर्चस्व रहा है, और इसे उनका गढ़ माना जाता है। अब तक के कुल 16 चुनावों में तस्लीमुद्दीन और उनके बेटों ने 11 बार जीत हासिल की है। 
  