जेडीयू के पूर्व विधायक राम बालक सिंह की नई शादी: राजनीतिक रणनीति या व्यक्तिगत निर्णय?

समस्तीपुर जिले के पूर्व विधायक राम बालक सिंह ने अपनी दूसरी शादी कर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। 62 वर्ष की आयु में, उन्होंने रवीना नाम की महिला से विवाह किया है, जो उनसे आधी उम्र की हैं। इस विवाह को कई लोग एक रणनीतिक कदम मानते हैं, जिससे वह आगामी विधानसभा चुनावों में अपनी नई पत्नी को उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकते हैं। इस शादी के पीछे की राजनीतिक मंशा और इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा जारी है। जानें इस घटनाक्रम के बारे में और क्या हो सकता है आगे।
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जेडीयू के पूर्व विधायक राम बालक सिंह की नई शादी: राजनीतिक रणनीति या व्यक्तिगत निर्णय?

राम बालक सिंह की नई शादी


समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर से जेडीयू के पूर्व विधायक राम बालक सिंह ने हाल ही में अपनी दूसरी शादी कर सबका ध्यान खींचा है। 62 वर्ष की आयु में, उन्होंने रवीना नाम की एक महिला से विवाह किया है, जो उनसे आधी उम्र की हैं। यह शादी उनकी पहली पत्नी की मृत्यु के तीन साल बाद और बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई है, जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।


कई लोगों का मानना है कि यह विवाह एक रणनीतिक कदम है। ऐसी चर्चा है कि सिंह अपनी नई पत्नी को 2025 के विधानसभा चुनावों में उम्मीदवार के रूप में पेश करने की योजना बना रहे हैं। उनके पिछले आपराधिक मामलों के कारण उनके राजनीतिक करियर में चुनौतियाँ आ रही हैं, जिससे पार्टी टिकट पाने की संभावनाएँ प्रभावित हो सकती हैं।


राम बालक सिंह की हालिया शादी को उनके राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक सोची-समझी चाल के रूप में देखा जा रहा है। पिछले आरोपों के चलते टिकट खोने की संभावना के मद्देनजर, रवीना से विवाह करना उनके लिए एक रणनीतिक विकल्प हो सकता है। इसने राजनीतिक हलकों में चर्चाओं को और बढ़ावा दिया है।


सोमवार की रात बेगूसराय के गढ़पुरा में एक मंदिर में शादी की रस्में संपन्न हुईं। मंगलवार की सुबह, सिंह और उनकी दुल्हन विभूतिपुर में अपने पैतृक घर लौट आए। इस आयोजन ने न केवल व्यक्तिगत महत्व रखा, बल्कि स्थानीय राजनीति पर इसके संभावित प्रभाव के लिए भी ध्यान आकर्षित किया है।


राम बालक सिंह कई वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं और उन पर गंभीर अपराधों के आरोप लगे हैं, जिनमें से कुछ में उन्हें सजा भी हुई है। उनकी पहली पत्नी, आशा रानी, तीन साल पहले तक गांव की प्रधान थीं। उनके तीन बेटियाँ हैं, जिनमें से दो की शादी हो चुकी है।


इससे पहले, सिंह जेडीयू के किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन वर्तमान में पार्टी में किसी आधिकारिक पद पर नहीं हैं। उनकी पिछली भूमिकाएँ और वर्तमान परिस्थितियाँ उनके भविष्य के कदमों और आगामी चुनावों पर अटकलों को जन्म दे रही हैं।


इस विवाह का न केवल व्यक्तिगत बल्कि राजनीतिक प्रभाव भी हो सकता है। इस जटिल स्थिति में, पर्यवेक्षक उत्सुकता से देख रहे हैं कि यह घटनाक्रम उनके राजनीतिक प्रक्षेपवक्र और जेडीयू पार्टी के भीतर की गतिशीलता को कैसे प्रभावित करेगा।