जितेंद्र और ऋषि कपूर की अनमोल दोस्ती: एक सच्चे साथी की कहानी

जितेंद्र और ऋषि कपूर की दोस्ती एक अनोखी कहानी है, जो उम्र और प्रतिस्पर्धा से परे थी। दोनों ने एक-दूसरे को ‘शंभू’ कहकर पुकारा, जो उनकी गहरी समझ का प्रतीक था। इस लेख में जानें कि कैसे उनकी दोस्ती ने जीवन के हर मोड़ पर एक-दूसरे का साथ निभाया और सच्ची दोस्ती का महत्व क्या है।
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जितेंद्र और ऋषि कपूर की अनमोल दोस्ती: एक सच्चे साथी की कहानी

दोस्ती की गहराई

फिल्म इंडस्ट्री की चकाचौंध में कई ऐसी दोस्तियां पनपती हैं, जो समय के साथ और भी मजबूत होती जाती हैं। दिग्गज अभिनेता जितेंद्र और दिवंगत ऋषि कपूर की दोस्ती भी ऐसी ही थी, जो केवल फिल्मी दुनिया तक सीमित नहीं रही, बल्कि जीवन के हर पहलू में एक-दूसरे के सच्चे साथी बन गए।


उम्र का फासला नहीं बनाता दीवार

कहा जाता है कि उम्र का अंतर दोस्ती में बाधा नहीं बनता। जितेंद्र और ऋषि कपूर के बीच लगभग 11 साल का अंतर था, लेकिन उनका रिश्ता गहराई में अद्वितीय था। दोनों ने अपनी दोस्ती को बेहद प्यार से संजोया और एक-दूसरे को ‘शंभू’ कहकर पुकारते थे, जो उनके बीच की गहरी समझ का प्रतीक था।


प्रतियोगिता के बावजूद गहरी दोस्ती

फिल्मों में जहां वे अक्सर प्रतिस्पर्धी होते थे, वहीं उनकी दोस्ती में कोई मुकाबला नहीं था। जितेंद्र ने एक बार कहा था, "मेरी जिंदगी में कोई ऋषि कपूर जितना करीब नहीं रहा। वह मेरा शंभू था। हर पार्टी की जान वही होता था।"


ऋषि कपूर की यादें

ऋषि कपूर के निधन के बाद, नीतू कपूर जब ‘इंडियन आइडल’ के मंच पर आईं, तो उन्हें जितेंद्र की एक भावुक क्लिप दिखाई गई। जितेंद्र ने कहा, "ऋषि हमारे लिए चिंटू थे। मैं उसे शंभू कहता था, और वह भी मुझे।"


सच्ची दोस्ती का संदेश

उनकी दोस्ती केवल फिल्मों तक सीमित नहीं थी, बल्कि जीवन के हर मोड़ पर एक-दूसरे का साथ निभाने वाली थी। सच्ची दोस्ती उम्र, स्थिति या प्रतिस्पर्धा से परे होती है। जो हर परिस्थिति में साथ निभाए, वही सच्चा मित्र कहलाता है।