जावेद अख्तर ने AI के प्रभाव पर चिंता जताई, अगली पीढ़ी के कलाकारों के लिए चेतावनी
जावेद अख्तर की चिंताएँ
जावेद अख्तर
जावेद अख्तर ने हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया है। फिल्म उद्योग में AI का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे न केवल नई फिल्में बनाई जा रही हैं, बल्कि पहले से रिलीज़ हो चुकी फिल्मों में भी बदलाव किए जा रहे हैं। उन्होंने इस तकनीक के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर चर्चा की।
एक कार्यक्रम में बोलते हुए, जावेद अख्तर ने कहा, “AI इस समय एक शक्तिशाली उपकरण है, लेकिन यह केवल वर्तमान के लिए है। यह एक सहायक की तरह है। कला, चाहे वह चित्रकला हो, संगीत हो या कविता, पूरी तरह से चेतन मन द्वारा नहीं बनाई जाती। इसमें अवचेतन मन की भूमिका होती है, जो AI में नहीं होती।”
अगली पीढ़ी के लिए चिंता
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अगली पीढ़ी के कलाकारों के लिए चिंता है। “हमें यह सोचकर मूर्ख नहीं बनना चाहिए कि ऐसा कभी नहीं होगा। अगले पांच से दस वर्षों में, स्थिति पूरी तरह से बदल सकती है। मुझे नहीं लगता कि यह मेरे जीवनकाल में उस स्तर तक पहुंचेगा, लेकिन अगली पीढ़ी को AI से वास्तविक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।”
फिल्मों में AI का बढ़ता प्रभाव
AI का बढ़ता प्रभाव फिल्म उद्योग में एक गर्म बहस का विषय बन गया है। हाल ही में आनंद एल. राय की फिल्म 'रांझणा' को एक नए अंत के साथ फिर से रिलीज़ किया गया, जबकि चिरंजीवी की 'हनुमान- द इटरनल' पूरी तरह से AI द्वारा निर्मित पहली फिल्मों में से एक बन गई। इन घटनाओं ने सिनेमा में AI के उपयोग पर सवाल उठाने के लिए कई लोगों को प्रेरित किया है।
