जापान की मिसाइल परीक्षण: चीन के खिलाफ सैन्य मजबूती का संकेत

जापान ने 24 जून को अपने क्षेत्र में पहली बार मिसाइल का परीक्षण किया, जो चीन के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने का संकेत है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक राजनीति में आए बदलावों को दर्शाते हुए, यह परीक्षण जापान की आत्म-रक्षा बलों के विकास और अमेरिका के साथ उसके सुरक्षा संबंधों को भी उजागर करता है। जापान अब एक आत्मनिर्भर सैन्य बल की दिशा में बढ़ रहा है, जो दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक है।
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जापान की मिसाइल परीक्षण: चीन के खिलाफ सैन्य मजबूती का संकेत

जापान का ऐतिहासिक मिसाइल परीक्षण


24 जून को, जापान ने अपने क्षेत्र में पहली बार एक मिसाइल का परीक्षण किया, जो चीन के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करने के प्रयास का हिस्सा है। यह घटना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक राजनीति में आए बदलावों का स्पष्ट संकेत है।


याद रहे कि जापान, जो उस युद्ध में तीन पराजित धुरी शक्तियों में से एक था, ने अपनी सेना को समाप्त कर दिया था और फिर कभी पुनः सशस्त्रीकरण न करने की शपथ ली थी। हालांकि, बाद में उसे सहयोगी शक्तियों द्वारा एक शांतिवादी संविधान अपनाने की अनुमति दी गई, जिसमें केवल आत्म-रक्षा के लिए बल प्रयोग की अनुमति थी।


1950 में कोरियाई युद्ध के प्रारंभ के बाद, जापान ने नेशनल पुलिस रिजर्व की स्थापना की, जो बाद में आत्म-रक्षा बलों (SDF) में विकसित हुई। शीत युद्ध के दौरान, चीन की बढ़ती शक्ति के मद्देनजर, अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम ने जापान को साम्यवाद के खिलाफ एक मजबूत दीवार बनाने के लिए पुनः सशस्त्रीकरण की दिशा में कदम बढ़ाया।


2022 में, जापान ने एक सुरक्षा रणनीति अपनाई, जिसमें जापान-अमेरिका गठबंधन को मजबूत करने का आह्वान किया गया। इसके परिणामस्वरूप जापान-अमेरिका सुरक्षा संधि बनी, जिसके तहत अमेरिका जापान की रक्षा के लिए बाध्य है।


अमेरिकी सेना पर निर्भरता के कारण, जापान ने रक्षा खर्च को कम रखा और तेजी से आर्थिक विकास किया। लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि जापान को एक आत्मनिर्भर सैन्य बल की आवश्यकता है, खासकर दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के मद्देनजर।


जापान को चीन और रूस के बीच बढ़ते संयुक्त सैन्य अभ्यासों की भी चिंता है, जबकि रूस जापान के साथ क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है। पहले, जापान ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में मिसाइल परीक्षण किए थे, लेकिन 24 जून को किया गया परीक्षण जापान की धरती पर एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है।


वर्तमान में, जापान लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलों, जैसे कि अमेरिका से खरीदी गई टॉमहॉक मिसाइलों को तैनात कर रहा है और चीन के खिलाफ मुकाबला करने के लिए अपने पूर्वी द्वीप पर एक मिसाइल फायरिंग रेंज का निर्माण कर रहा है।


1991 में खाड़ी युद्ध के बाद, जापान ने फारस की खाड़ी में समुद्री आत्म-रक्षा बल के माइनस्वीपर्स को भेजा, जिससे अंतरराष्ट्रीय शांति अभियानों में भागीदारी का रास्ता खुला। वास्तव में, जापान अब फिर से उस सैन्य शक्ति को पुनः प्राप्त करने की दिशा में बढ़ रहा है जो उसने द्वितीय विश्व युद्ध से पहले रखी थी।